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कृषि में पॉली- मल्चिंग का महत्व

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लेखक : Soumya Priyam

प्लास्टिक मल्चिंग करते समय खेत में एक पतली प्लास्टिक की फिल्म या शीट लगाई जाती है। इस शीट में बीज की रोपाई के लिए निश्चित दूरी पर कई छेद किए जाते हैं। इस शीट की मोटाई का चयन फसलों के विभिन्न प्रकार एवं पौधे के अनुसार करनी चाहिए। अगर आप प्लास्टिक मल्चिंग से अवगत नहीं हैं तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां बिजाई के समय प्लास्टिक मल्चिंग करने के फायदे, प्लास्टिक मल्चिंग लगाते समय सावधानियां एवं प्लास्टिक मल्चिंग के चयन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्लास्टिक मल्चिंग से होने वाले लाभ

  • प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करने से फसलों के उपज में वृद्धि होती है।

  • पौधों की जड़ों का विकास सुचारु रूप से होता है।

  • खरपतवारों के पनपने की संभावना कम हो जाती है।

  • खेत में नमी की मात्रा बनी रहती है।

  • खेत की मिट्टी को कठोर होने से बचाया जा सकता है।

  • खरपतवार रोकने में भी मदद मिलती है।

प्लास्टिक मल्चिंग लगाते समय रखें इन बातों का ध्यान

  • प्लास्टिक शीट हमेशा सुबह या शाम के समय लगाएं।

  • शीट लगते समय उसे आवश्यकता से अधिक न खींचें। इससे शीट फट सकती है।

  • शीट में छेद करते समय सिंचाई नली का भी ध्यान रखें।

  • प्लास्टिक शीट के दोनों तरफ एक समान मिट्टी चढ़ाएं।

कैसे करें प्लास्टिक शीट का चयन?

शीट की चौड़ाई : विभिन्न फसलों के अनुसार प्लास्टिक शीट की चौड़ाई 90 सेंटीमीटर से 180 सेंटीमीटर तक रखें।

किस रंग की प्लास्टिक शीट का करें चयन?

प्लास्टिक शीट कई रंगों में उपलब्ध है। जिनमे काले, नीले, लाल, पारदर्शी, दूधिया आदि कई रंग शामिल हैं। कुछ रंग के शीट की विशेषताएं इस प्रकार हैं :

  • पारदर्शी फिल्म : इसका उपयोग भूमि के सोलेराइजेशन में किया जाता है। ठंड के मौसम में खेती करने के लिए इस शीट का चयन कर सकते हैं।

  • दूधिया या चमकीली शीट : इसके प्रयोग से मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहती है। मिट्टी का तापमान कम रहता है और खरपतवारों पर भी नियंत्रण होता है।

  • काली फिल्म : इसका प्रयोग मिट्टी में नमी को बनाए रखने के लिए किया जाता है। खरपतवारों पर नियंत्रण किया जाता है। काली शीट का प्रयोग आमतौर पर बागवानी के लिए किया जाता है।

क्या आपने कभी अपने खेत में प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग किया है? अपने अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

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6 March 2021

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