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तम्बाकू इल्ली बरबाद न कर दे सोयाबीन की फसल

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सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी, काली भुंडी, तना छेदक मक्खी, बालों वाली सुंडी, हरी अर्ध कुंडलक इल्ली, तम्बाकू इल्ली आदि के प्रकोप का खतरा बना रहता है। आज हम बात करेंगे सोयाबीन की फसल में लगने वाले तम्बाकू इल्ली की पहचान, लक्षण एवं बचाव के बारे में। तम्बाकू इल्ली के प्रकोप से फसल 40 से 80 प्रतिशत तक नष्ट हो सकती है।

कीट की पहचान

  • यह एक पॉलीफेगस कीट है।

  • इस कीट का लार्वा में बाल नहीं होते।

  • यह कीट हल्के हरे रंग के होते हैं और तेजी से पत्तियों को खाते हैं।

  • इसके बड़े लार्वा गहरे हरे रंग से कत्थई रंग के होते हैं।

  • इस तरह के कीट पर किनारे की तरफ गहरे धब्बे होते हैं और दो पीली पट्टियां होती हैं जिनके बीच में त्रिभुज के आकर के धब्बे बने होते हैं।

लक्षण

  • तम्बाकू इल्ली रात के समय पौधों पर आक्रमण करते हैं और दिन होने पर मिट्टी में छुप जाते हैं।

  • यह पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं।

  • प्रभावित पत्तियों का रंग पीला हो जाता है और पत्तियों पर छोटे - छोटे छेद भी दिखने लगते हैं।

  • कुछ समय बाद पत्तियां झड़ने लगती हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं।

बचाव के उपाय

  • फसल की जल्दी बुवाई करें। इससे इस कीट के प्रकोप का खतरा कम हो जाता है।

  • अगर संभव हो तो कीट के अंडों को इकट्ठा कर के नष्ट कर दें।

  • खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक है।

  • खेत के चारो तरफ सूरजमुखी, अरबी और अरंडी के पौधे लगाएं। इससे सोयाबीन की फसल में तम्बाकू इल्ली के प्रकोप को कम किया जा सकता है।

  • कीट को आकर्षित करने के लिए रोशनी या फिर फेरोमोन ट्रेप का प्रयोग करें।

  • कीट का प्रकोप होने पर प्रति एकड़ भूमि में 180 मिलीलीटर स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी का छिड़काव करें। यह दवा बाज़ार में डेलीगेट, लारगो आदि नाम से उपलब्ध है।

  • इसके अलावा आप प्रति एकड़ खेत में फ्लूबेंडियमाइड 39.35 प्रतिशत को 60-70 मिलीलीटर पानी में मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं। यह दवा बाजार में फेम, ओरीज़ोन आदि नाम से उपलब्ध है।

  • तम्बाकू इल्ली से बचने के लिए 300 ग्राम थियोडिकार्ब 75 % डबल्यू.पी जो बाज़ार में बेयर कंपनी की लार्विन के नाम से उपलब्ध है का भी छिड़काव कर सकते हैं।

  • इसके अतिरिक्त आप प्रति एकड़ जमीन में देहात कटर 50 मिलीलीटर के साथ 50 मिलीलीटर एक्टिवेटर का भी प्रयोग कर सकते हैं।

  • आवश्यकता के अनुसार 10 दिन के अंतराल पर फिर से छिड़काव किया जा सकता है।

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SomnathGharami

Dehaat Expert

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4 September 2020

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