विवरण
स्टीविया की बढ़ी मांग, इस तरह खेती करने से होगा अधिक मुनाफा
लेखक : Lohit Baisla

स्टीविया को मीठी तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य चीनी की तुलना में स्टीविया में 25 से 30 गुणा अधिक मिठास होती है। यह मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण है। यह हमारे शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक है। स्टीविया के पत्तों से कई तरह की दवाएं तैयार की जाती है। कई बड़ी कम्पनियां अधिक मात्रा में स्टीविया की खरीदारी करती हैं। ऐसे में इसकी मांग बढ़ने के साथ इसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसकी खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम स्टीविया की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।
स्टीविया के पौधों की रोपाई
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पौधों की रोपाई अधिक गर्म एवं अधिक ठंड के समय नहीं करनी चाहिए।
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रोपाई का सही समय फरवरी-मार्च महीने में की जाती है।
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इसके अलावा इसकी रोपाई अक्टूबर-नवंबर महीने में भी की जाती है।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में स्टीविया की खेती की जा सकती है।
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इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय एवं उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त है।
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11 से 41 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के बीच इसकी खेती की जा सकती है।
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बेहतर पैदावार के लिए इसकी खेती उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी एवं लाल मिट्टी में करनी चाहिए।
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मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
खेत की तैयारी एवं उर्वरक की मात्रा
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खेत तैयार करते समय सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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खेत में रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 2 टन गोबर की खाद मिलाएं।
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गोबर की खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।
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प्रत्येक कटाई के बाद प्रति एकड़ खेत में 500 किलोग्राम केंचुआ खाद मिलाएं।
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पौधों की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।
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सभी क्यारियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
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पौधों से पौधों के बीच की दूरी भी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
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वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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गर्मी के मौसम में 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुराई करें।
फसल की कटाई
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एक बार पौधों की रोपाई कर के कई वर्षों तक फसल की कटाई की जा सकती है।
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पौधों की रोपाई के 90 से 100 दिनों के बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
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इसके बाद हल 90 दिनों के अंतराल पर पौधों की कटाई कर सकते हैं।
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भूमि की सतह से 5 से 8 सेंटीमीटर की ऊंचाई के पौधों की कटाई करनी चाहिए।
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सर्पगंधा की अच्छी पैदावार के लिए खेत तैयार करने की विधि यहां से देखें।
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5 July 2021
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