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सरसों : सफेद जंग रोग से हैं परेशान, इस तरह करें नियंत्रण

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सफेद जंग रोग सरसों की फसल में लगने वाले घातक रोगों में से एक है। इस रोग को वाइट रस्ट रोग एवं सफेद गेरुई रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग के कारण सरसों की पैदावार में 23 से 55 प्रतिशत तक कमी आती है। सरसों की खेती वाले लगभग क्षेत्रों में इस रोग के प्रकोप का खतरा बना रहता है। आइए सरसों की फसल को क्षति पहुंचाने वाले सफेद गेरुई रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

सफेद जंग रोग के लक्षण

  • इस रोग के लक्षण सबसे पहले पौधों की पत्तियों पर नजर आते हैं।

  • इस रोग के होने पर पत्तियों की निचली सतह पर सफेद एवं पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

  • रोग बढ़ने पर पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है।

  • पौधों के विकास में बाधा आती है।

  • सरसों के फूल बदरंग हो जाते हैं।

  • पौधों की शाखाएं विकृत हो जाती हैं।

  • पौधों में फलियां नहीं बनती हैं।

सफेद जंग रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • पौधों को इस इस रोग से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं।

  • रोग रहित स्वस्थ बीजों का चयन करें।

  • बीज की बुवाई सही समय पर करें।

  • खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण रखें।

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिलाकर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 0.5 से 1 मिलीलीटर अमीस्टार नामक दवा मिला कर छिड़काव करें। प्रति एकड़ भूमि में 350 से 400 मिलीलीटर दवा की आवश्यकता होती है।

  • इस रोग से बचने के लिए 0.25 प्रतिशत रिडोमिल का छिड़काव करें।

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Soumya Priyam

Dehaat Expert

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3 टिप्पणियाँ

8 December 2021

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