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सोयाबीन : बेहतर पैदावार के लिए इस तरह करें उर्वरक प्रबंधन

लेखक : Somnath Gharami

हमारे देश में रबी फसल की कटाई के बाद सोयाबीन की खेती की जाती है। बाजार में इसकी बीज के साथ इसके तेल की मांग भी हमेशा बनी रहती है। इसलिए किसानों के लिए यह अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। हालांकि कई बार सोयाबीन की खेती के समय कुछ लापरवाहियों के कारण पैदावार में कमी आ जाती है। जिनमें उर्वरक प्रबंधन भी शामिल है। सही समय पर एवं सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग नहीं करने से फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर होता है। सोयाबीन की बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

सोयाबीन की खेती का उपयुक्त समय

  • पर्वतीय क्षेत्र में बुवाई के लिए 25 मई से 15 जून तक का समय उपयुक्त है।

  • मैदानी क्षेत्रों में इसकी बुवाई 20 जून से 10 जुलाई तक की जाती है।

बेहतर फसल के लिए उर्वरक प्रबंधन

  • खेत की आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ खेत में 4 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या गली हुई रूड़ी की खाद मिलाएं।

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में नाइट्रोजन 12.5 किलोग्राम (यूरिया 28 किलोग्राम) और फॉस्फोरस 32 किलोग्राम (सिंगल सुपर फॉस्फेट 200 किलोग्राम) 8 किलोग्राम सल्फर यानी गंधक मिलाएं।

  • पोटाश की कमी होने पर ही पोटाश का इस्तेमाल करें।

  • पौधों के अच्छे विकास और बेहतर पैदावार के लिए यूरिया 3 किलोग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 60 दिनों बाद एवं बुवाई के 70 दिनों बाद छिड़काव करें।

  • अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ भूमि में 80 किलोग्राम जिप्सम का भी प्रयोग करें।

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12 May 2022

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