विवरण
पशुओं में जूं, किलनी खत्म करने के उपाय
लेखक : Soumya Priyam

जूं एवं किलनी छोटे परजीवी कीट होते हैं, यह पशुओं के शरीर पर रहते हैं और उनका खून चूस कर अपना भरण-पोषण करते हैं। यह परजीवी कीट कई रोगों के वाहक भी होते हैं। इनके प्रकोप से गाय, भैंस एवं बकरियां भी अछूती नहीं हैं। कुछ पशुपालक जूं और किलनी को खत्म करने के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हैं। जिसका पशुओं पर भी प्रतिकूल असर होता है। यदि आप भी पशु पालन करते हैं तो अपने पशुओं को जूं और किलनी से बचाने के तरीके यहां से देख सकते हैं। इसके साथ ही आप यहां इनके प्रकोप के लक्षण की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इनकी संख्या बढ़ने पर ये प्रत्यक्ष रूप में भी देखे जा सकते हैं।
पशुओं में जूं और किलनी के प्रकोप का लक्षण
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जूं और किलनी के खून चूसने की वजह से पशु कमजोर हो जाते हैं।
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पशु अक्सर तनाव में रहते हैं।
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पशु सामान्य से कम आहार का सेवन करते हैं।
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कई बार पशुओं के बाल झड़ने लगते हैं।
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पशुओं में खुजली एवं जलन की समस्या बढ़ जाती है।
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समस्या बढ़ने पर दुग्ध उत्पादन में भी कमी आती है।
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कई बार पशुओं के बच्चों की मृत्यु तक हो जाती है।
जैविक तरीके से कैसे करें जूं और किलनी पर नियंत्रण?
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5 लीटर पानी में ढाई किलोग्राम नीम की पत्तियां एवं 2 किलोग्राम निर्गुण्डी की पत्तियां डालकर उबालें। 12 घंटे बाद पत्तियों को छानकर अलग करें। 9 लीटर पानी में 1 लीटर उबला मिश्रण मिलाकर पशुओं के प्रभावित हिस्सों पर छिड़काव करें। 3-4 दिनों तक सुबह शाम इसका प्रयोग करने से पशुओं को राहत मिलती है।
जूं और किलनी से निजात पाने के कुछ अन्य तरीके
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6 से 7 दिनों के अंतराल पर 2 बार पशुओं के प्रभावित हिस्सों पर साबुन का घोल लगाएं।
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7 दिनों के अंतराल पर पशुओं के शरीर पर 2 बार आयोडीन लगाएं।
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पशुओं में परेशानी बढ़ने पर पशु चिकित्सक की सलाह लें।
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चिकित्सक की सलाह के बाद पाइरिथ्रम नामक वानस्पतिक कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते हैं।
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पशुओं को कैल्शियम खिलाने के लाभ की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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4 टिप्पणियाँ
22 February 2021
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