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परवल को बचाएं इन रोगों से और पाएं भरपूर पैदावार

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लेखक : SomnathGharami

भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, गुजरात, केरल एवं तमिलनाडु में परवल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। सब्जियों के अलावा इसका उपयोग  अंचार एवं मिठाई बनाने में किया जाता है। परवल में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। अन्य सब्जी वाली फसलों की तुलना में परवल की खेती करने पर किसानों को अधिक लाभ होता है। लेकिन कई बार कुछ रोगों के प्रकोप के कारण परवल की गुणवत्ता एवं पैदावार में भारी कमी हो जाती है। फलस्वरूप किसानों को मुनाफे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में परवल की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग एवं उन पर नियंत्रण के तरीकों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। आइए परवल की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

परवल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग

  • चूर्णिल आसिता : इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों एवं तने पर सफेद रंग के पाउडर के समान पदार्थ नजर आने लगता है। रोग बढ़ने के साथ पत्तियां सूखने लगती है एवं पौधों के विकास में बाधा आती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिलाकर छिड़काव करें।

  • मृदुरोमिला आसिता : इस रोग को डाउनी मिलडायू के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार में वृद्धि होती है। रोग पर सही समय पर नियंत्रण नहीं होने के कारण पौधों के विकास में बाधा आती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 2 ग्राम मैनकोज़ेब एम-45 मिलाकर मिला कर छिड़काव करें।

  • मोजेक रोग : यह वायरस जनित रोग है। इस रोग से प्रभावित पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है। साथ ही पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं। इस रोग से प्रभावित होने पर फलों का रंग हल्का सफेद नजर आने लगता है। रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 40 मिलीलीटर देहात वैरोनील मिलाकर छिड़काव करें।

  • फल सड़न रोग : परवल की फसल को इस रोग से भारी नुकसान होता है। खेत में लगी फसलों के अलावा भंडार गृह में भी इस रोग का खतरा बना रहता है। इस रोग से प्रभावित फलों पर पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद फल सड़ने लगते हैं एवं उनमें सड़न की बदबू आने लगती है। जमीन की सतह से सटे फलों में सड़न रोग होने की संभावना अधिक होती है। इससे बचने के लिए जमीन की सतह पर पुआल बिछा दें। इसके साथ ही प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब मिला कर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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26 May 2021

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