विवरण
पपीता : बेहतर फलन के लिए इस तरह करें रिंग स्पॉट विषाणु रोग
लेखक : Soumya Priyam

पपीता के पौधों में कई तरह के घातक रोग होते हैं। जिनमें रिंग स्पॉट विषाणु रोग भी शामिल है। इस विषाणु रोग से पूरी तरह से निजात पाना कठिन है। इस रोग के कारण फलों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर होता है। आइए पपीते के पौधों में लगने वाले रिंग स्पॉट विषाणु रोग के कारण, लक्षण एवं नियंत्रण पर वस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
रिंग स्पॉट विषाणु रोग का कारण
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यह रोग वलय चित्ती विषाणु के द्वारा होता है।
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विभिन्न कीट एवं पक्षियां इस रोग को फैलाने का काम करती हैं।
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वर्षा ऋतू में यह रोग तेजी से फैलता है।
रिंग स्पॉट विषाणु रोग के लक्षण
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इस रोग का लक्षण सबसे पहले पपीते के पौधों की मुलायम पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
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इस रोग से ग्रस्त होने पर पत्तियों पर धब्बे बनने लगते हैं और पत्तियां आकार में छोटी और कटी-फटी से दिखती हैं।
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पत्तियों पर गहरे हरे रंग के फफोले उभर जाते हैं और पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।
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कुछ समय बाद रोग के लक्षण तनों पर भी देखे जा सकते हैं।
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तनों पर गहरे हरे रंग के धब्बे और लंबी धारियां बनने लगते हैं।
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रोग बढ़ने पर फलों पर भी धब्बे उभरने लगते हैं। फलों के पकने यह धब्बे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
रिंग स्पॉट विषाणु रोग पर नियंत्रण के तरीके
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एफिड इस रोग को फैलाने का काम करते हैं। एफिड पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक डाइमेथिओट 8 मिलिलीटर प्रति 15 लिटर पनि मे मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा 2 प्रतिशत नीम के तेल में 0.5 मिलीलीटर स्टीकर मिलाकर कर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 1 महीने के अंतराल पर 6 से 8 बार छिड़काव कर सकते हैं।
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पपीते के पौधों को बरसात के बाद लगाने से इस रोग के होने की संभावना कम हो जाती है।
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खेत में नीम की खली एवं कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से इस रोग का प्रकोप कम होता है।
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इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों या पौधों के भाग को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।
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खेत मे तथा खेत के आसपास खरपतवारो को नियंत्रत रखे।
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उच्च गुणवात्ता वाले उर्वरक का संतुलित प्रयोग ही करें ।
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14 August 2021
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