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पेठे की उन्नत किस्में

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लेखक : Soumya Priyam

पेठे में कैलोरी की मात्रा कम होती है इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है। इसके अलावा इसका सेवन कब्ज, एसिडिटी और आंतड़ी के कीटों के उपचार में भी लाभप्रद है। इसका सबसे अधिक प्रयोग पेठा (मिठाई) बनाने में किया। केवल 4 महीने में तैयार होने वाली इस फसल की खेती से पहले इसकी कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

पेठे की कुछ उन्नत किस्में

  • सी.ओ. 1 : इस किस्म की खेती दोनों मौसम में की जा सकती है। बीज की रोपाई के करीब 120 दिनों बाद फल निकलने शुरू हो जाते हैं। प्रत्येक फल का वजन 7 से 10 किलोग्राम तक होता है। प्रति एकड़ भूमि से 120 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है।

  • काशी उज्ज्वल : इस किस्म के फलों का आकार गोल होता है। बीज की रोपाई के 115 से 120 दिनों बाद फल पक कर तैयार हो जाते हैं। प्रत्येक फल का वजन करीब 12 किलोग्राम होता है। प्रति एकड़ खेत से 220 से 240 क्विंटल तक फसल प्राप्त किए जा सकते हैं।

  • अर्को चन्दन : इस किस्म के फलों की भंडारण क्षमता अधिक होती है। इस किस्म की खेती कच्चे फलों के लिए ज्यादा की जाती है। इसके कच्चे फलों से सब्जी बनाई जाती है। बीज की रोपाई के करीब 130 दिनों बाद फल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ जमीन से 140 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है।

  • कोयम्बटूर 1 : यह किस्म पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। प्रत्येक फल 7 से 8 किलोग्राम के होते हैं। इसका उपयोग सब्जी एवं मिठाई दोनों बनाने के लिए किया जाता है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 120 क्विंटल तक फसल की प्राप्ति होती है।

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27 March 2021

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