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1. अच्छे पैदवार व लागत खर्च कम करने लिए जीरो-टिलेज पद्धति का इस्तेमाल करें.
2. पौध के क्रांतिक अवस्था, बुआई से 21-22 दिनों बाद, पर सिंचाई अवश्य करें.
3. खेतों में हरी खाद जैसे मुंग, ढैंचा, लोबिया इत्यादि का प्रयोग कर मृदा का उर्वरक शक्ति बढ़ाया जा सकता है.

SomnathGharami
Dehaat Expert
2 September 2020
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