विवरण

मसूर की उन्नत किस्मों का चयन

लेखक : Lohit Baisla

हमारे देश में मसूर की कई किस्मों की खेती की जाती है। इस पोस्ट में हम कुछ प्रमुख किस्मों की पैदावार, फसल तैयार होने की अवधि एवं अन्य विशेषताएं बता रहे हैं। इन विशेषताओं के अनुसार आप किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं।

कुछ प्रमुख किस्में

  • मलिका (के 75) : यह किस्म छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 120 - 125 दिनों का समय लगता है। इसके बीज गुलाबी रंग के एवं आकार में बड़े होते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 4.8 से 6 क्विंटल की पैदावार होती है।

  • पंत एल- 406 : इस किस्म की खेती उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम के मैदानी क्षेत्रों में की जाती है। इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर में भी इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है। फसल लगभग 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म रस्ट रोग के लिए प्रतिरोधी है। प्रति एकड़ भूमि से 12 से 13 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है।

  • पूसा वैभव (एल 4147) : यह संचित एवं बरानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है। इसके दानों का आकार छोटा होता है। इस किस्म में आयरन की मात्रा अधिक होती है। प्रति एकड़ जमीन से करीब 7-8 क्विंटल फसल की पैदावार होती है।

  • पूसा शिवालिक (एल 4076) : इस किस्म को वर्ष 1995 में विकसित किया गया। इसकी खेती मुख्यतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश में की जाती है। बरानी क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक इसकी खेती की जा सकती है। फसल को पकने में 120 से 125 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ खेत से करीब 6 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है।

इन किस्मों के अलावा कई अन्य किस्मों की भी खेती की जाती है। जिनमे पूसा मसूर 5 (एल 4594), पन्त एल 234, बीआर 25, नूरी (आईपीएल 81), वी एल मसूर 125, डब्लू बी एल 58, जे एल- 3, शेरी (डी पी एल 62), अरूण (पी एल- 777-12), पन्त  मसूर 8 आदि कई अन्य किस्में भी शामिल हैं।

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20 October 2020

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