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लीची: तना छेदक की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय
लेखक : Pramod

तना छेदक कीट से लीची की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। यह कीट पत्तियों की निचली सतह या लीची के फलों में अंडे देती हैं। लीची की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए तना छेदक कीट पर नियंत्रण करना आवश्यक है। यहां से आप तना छेदक कीट की पहचान, इससे होने वाले नुकसान एवं इस पर नियंत्रण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कीट की पहचान
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इस कीट का लार्वा दूधिया सफेद रंग का होता है।
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लार्वा का सिर हल्के भूरे रंग का एवं शरीर पतला होता है।
होने वाला नुकसान
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अंडों से निकलने के बाद लार्वा फलों में छेद कर के गुदों को खाता है।
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प्रभावित फलों के विकास में बाधा आती है।
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प्रभावित फलों के डंठल के पास काले धब्बे नजर आने लगते हैं।
नियंत्रण के तरीके
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कीट को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित शाखाओं को वृक्ष से तोड़कर अलग करें।
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जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम का तेल मिला कर छिड़काव करें।
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15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव करने से इस कीट पर पूरी तरह नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर कराटे या 1 मिलीलीटर अलांटो मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं एवं अन्य उपायों को अपनाकर आप तना छेदक कीट पर आसानी से नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी लीची के पौधों को तना छेदक कीट से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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5 February 2021
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