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लाल चौलाई की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

लाल चौलाई को आम भाषा में लाल साग भी कहते हैं। पत्तेदार सब्जियों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत के अलावा इसकी खेती दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, पश्चिम एवं पूर्वी अफ्रीका में भी की जाती है। इसकी खेती के लिए गर्म एवं वर्षा का मौसम उपयुक्त है। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
चौलाई की खेती का उपयुक्त समय
इसकी खेती के लिए जून-जुलाई का महीना उपयुक्त है।
इसके अलावा फरवरी-मार्च महीने में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।
बीज की मात्रा एवं बुवाई की विधि
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बीज की मात्रा बीज की बुवाई के तरीकों पर निर्भर करती है।
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यदि छिड़काव विधि से बुवाई करनी है तो प्रति एकड़ खेत में 2 से 2.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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यदि क्यारियां बनाकर उसकी बुवाई कर रहे हैं तो प्रति एकड़ खेत में 1 से 1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
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चौलाई के बीज आकार में काफी छोटे होते हैं। इसलिए बीज में रेत मिलाकर बुवाई करें।
खेत तैयार करने की विधि
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सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से खेत में एक बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करें तो। हल्की जुताई के लिए कल्टीवेटर या हैरो का प्रयोग कर सकते हैं।
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चौलाई की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 से 5 टन गोबर की खाद मिलाएं।
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खाद मिलाने के बाद खेत में पानी चला कर पलेवा करें।
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पलेवा करने के तीन-चार दिनों बाद जब भूमि की ऊपरी सतह सूखी हुई नजर आए तब खेत में अच्छी तरह जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत में रोटावेटर चला कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
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इसके बाद खेत में पाटा लगाएं।
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इस तरह खेत तैयार करने से वर्षा के मौसम में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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यदि रोपाई के समय भूमि में उचित मात्रा में नमी है तो बुराई के तुरंत बाद सिंचाई न करें।
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यदि सूखी भूमि में बुवाई कर रहे हैं तो बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। इससे बीज के अंकुरण में आसानी होती है।
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अंकुरण के बाद बुवाई के 20-25 दिनों बाद सिंचाई करें।
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पौधों में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।
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गर्मी के मौसम में 1 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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खरपतवार पर नियंत्रण के लिए कुछ समय के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें।
फसल की कटाई
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बुवाई की 20 से 25 दिनों बाद फसल की पहली कटाई की जा सकती है।
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चौलाई की कोमल तने एवं पत्तियों की कटाई करें।
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इस तरह एक बार बुवाई करके 4 से 5 बार तक कटाई की जा सकती है।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें कि वह इसे आने किसानों के साथ साझा भी करें। जिस से अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए चौलाई की बेहतर फसल प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
Pramod
Dehaat Expert
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4 टिप्पणियाँ
5 June 2021
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