विवरण
कहीं आपकी लहसुन एवं प्याज की फसल झुलसा रोग से हो न जाए बरबाद
लेखक : Pramod

लहसुन एवं प्याज दोनों कंद वाली फसलों में शामिल हैं। आमतौर पर दोनों फसलों में रोग एवं कीट भी एक समान ही लगते हैं। आज हम बात करेंगे लहसुन एवं प्याज की फसल में लगने वाले झुलसा रोग के बारे में। जीवाणु जनित इस रोग के कारण पैदावार में भारी कमी होती है। झुलसा रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।
झुलसा रोग के लक्षण
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छोटे पौधों में यह रोग अधिक होता है। 20 से 25 दिन के पौधे झुलसा रोग से अधिक प्रभावित होते हैं।
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रोग से प्रभावित पौधों की ऊपर की पत्तियां झुलसी हुई नजर आती हैं।
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पत्तियां किनारों से शुरू हो कर नीचे की तरफ सूखने लगती हैं।
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प्रभावित पौधों के विकास में बाधा आती है।
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रोग का प्रकोप बढ़ने पर पौधे मरने लगते हैं।
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झुलसा रोग से प्रभावित पौधों में कंद नहीं बनते। यदि कंद बन भी गए तो उनका उचित विकास नहीं होता है।
झुलसा रोग पर नियंत्रण के तरीके
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बुवाई के लिए रोग रहित स्वस्थ बीज का चयन करें।
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रोग के शुरूआती लक्षण नजर आने पर 0.1 प्रतिशत बाविस्टिन के घोल का छिड़काव करें।
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इसके अलावा रिडोमिल एमजेड के 0.2 प्रतिशत घोल के छिड़काव से भी इस रोग को फैलने से रोका जा सकता है।
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15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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इस रोग से निजात पाने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 से 2 मिलीलीटर मेंकोजेब मिला कर छिड़काव करें।
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आवश्यकता के अनुसार 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं झुलसा रोग पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस रोग पर नियंत्रण प्राप्त कर के लहसुन एवं प्याज की अच्छी उपज प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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5 January 2021
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