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केसर : जानें कैसे की जाती है केसर की खेती

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लेखक : Soumya Priyam

केसर एक सुगंधित पौधा है। इसे सैफरन के नाम से भी जाना जाता है। भारत में इसकी खेती केवल जम्मू के किश्तवाड़ और कश्मीर के पामपुर (पंपोर) में की जाती है। यह एक बहू वर्षीय पौधा है। इसकी खेती कंद की रोपाई के द्वारा की जाती है। इसके कंद प्याज के कंद की तरह होते हैं। हर वर्ष अक्टूबर से दिसंबर महीने तक पौधों में फूल निकलते हैं। एक फूल से केसर के केवल तीन धागे प्राप्त किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में महंगी कीमतों पर बिक्री के कारण केसर की खेती करने वाले किसान लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं। आइए केसर की खेती से जूड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां विस्तार से प्राप्त करें।

केसर की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • केसर की खेती के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सर्वोत्तम है।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • केसर की खेती समुद्र तल से करीब 2,000 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है।

  • पौधों को शीतोष्ण एवं सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • पौधों के बेहतर विकास के लिए इसकी खेती दोमट मिट्टी में करनी चाहिए।

  • इसके अलावा रेतीली चिकनी बलुई मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।

खेत तैयार करने की विधि

  • खेत तैयार करते समय जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। जल जमाव होने पर फसल बर्बाद हो जाती है।

  • खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत में 3 से 4 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें।

  • आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 8 टन गोबर की खाद मिलाएं।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 36 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस एवं 24 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।

  • कंद की रोपाई कंद की रोपाई के लिए खेत में 6 से 7 सेंटीमीटर की गहराई में गड्ढे तैयार करें ।

  • सभी गड्ढों के बीच करीब 10 सेंटीमीटर की दूरी रखें ।

  • सभी गड्ढों में कंद की रोपाई करके मिट्टी से भरें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • कंद की रोपाई के कुछ दिनों बाद हल्की वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • वर्षा नहीं होने पर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार सिंचाई करें।

  • सिंचाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जल-जमाव की स्थिति न हो।

  • केसर की फसल में अक्सर जंगली घास पनपते हैं। इन पर नियंत्रण के लिए कुछ समय के अंतराल पर निराई गुड़ाई करते रहें।

फूलों की तुड़ाई

  • केसर के फूल खिलने के दूसरे दिन ही फूलों को तोड़ लेना चाहिए।

  • फूलों को तोड़ने के बाद इन्हें सुखाना होता है। फूलों को सूखने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है।

  • फूलों के सूखने के बाद फूलों से केसर के धागे निकाल लिए जाते हैं।

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11 August 2021

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