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कद्दूवर्गीय फसलों में पत्तियों के सुरंगी कीट से बचाव

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लेखक : Somnath Gharami

पत्तियों में सुरंग करने वाले कीट को सर्पाकार पर्ण खनक भी कहा जाता है। कद्दू वर्गीय फसलें जैसे लौकी, तुरई, कद्दू, करेला आदि में इसका प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। इसके प्रकोप से पौधों पर विपरीत प्रभाव होता है। इस कीट के लक्षण एवं बचाव की जानकारी यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

कीट का लक्षण

  • इस तरह के कीट पत्ती की बाहरी त्वचा के नीचे सुरंग बनाते हैं।

  • सुरंग का आकार टेढ़ा-मेढ़ा सर्प के समान होता है।

  • यह कीट पौधों की पत्तियों पर अंडे देते हैं।

  • अंडे देने के तीन से चार दिन बाद पत्तियों में सुरंगे बनना शुरू हो जाता है।

  • कुछ दिनों बाद यह सुरंगे चौड़ी हो जाती हैं और पत्तियों की पूरी सतह पर देखी जा सकती हैं।

  • प्रकोप बढ़ने पर फसल की पैदावार में कमी आ जाती है।

रोकथाम के उपाय

  • इस कीट से पौधों को बचाने के लिए कीट के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।

  • सुरंग बनी हुई पत्तियों को पौधों से तोड़कर नष्ट कर दें।

  • प्रति एकड़ खेत में 4-6 पीले ट्रेप लगाएं।

  • खेत व खेत के आसपास खरपतवार पर नियंत्रण रखें।

  • प्रति एकड़ जमीन में 200 लीटर पानी में 350 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई.सी मिलाकर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा आप प्रति एकड़ जमीन में 200 लीटर पानी में 400 मिलीलीटर फिप्रोनिल 5% ई.सी मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

  • इस बात का ध्यान रखें कि इन दवाओं का छिड़काव फल लगने से पहले करें।

  • यदि तेज़ हवा चल रही हो तो इन दवाओं का उपयोग न करें। दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें।

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2 September 2020

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