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जैतून की खेती है मुनाफे का सौदा

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जैतून एक सदाबहार वृक्ष है। इसकी खेती मुख्यरूप से तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है। इसके अलावा बाजार में इसके फलों की मांग भी होती है। जैतून में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन पोषक तत्वों में एओलिक एसिड, एंटी आक्सीडेंट, विटामिन, फिनोल, आदि शामिल है। कई सौंदर्य प्रसाधनों को तैयार करने के अलावा इसका उपयोग पेट एवं कैंसर संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है। बात करें इसकी खेती की तो वर्तमान समय में राजस्थान में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। अगर आप भी करना चाहते हैं जैतून की खेती तो इससे जुड़ी कुछ महतवपूर्ण जानकारियां होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम जैतून की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि का चयन करें।

  • बेहतर पैदावार के लिए गहरी एवं उपजाऊ मिट्टी में इसकी खेती करें।

  • मिट्टी का पी.एच स्तर 6.5 से 8.0 होना चाहिए।

  • पौधों को 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है।

  • इससे कम तापमान में पौधों को क्षति पहुंचती है।

पौधों की रोपाई

  • जैतून के पौधों की रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सर्वोत्तम है।

  • सिंचाई की व्यवस्था होने पर दिसंबर से जनवरी महीने में भी पैधों की रोपाई की जा सकती है।

  • पौधों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 6 से 8 मीटर की दूरी रखें।

  • पौधों से पौधों की दूरी भी 6 से 8 मीटर होनी चाहिए।

  • पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

फलों की तुड़ाई

  • जैतून के सभी फल एक साथ नहीं पकते हैं। इसलिए फलों की तुड़ाई 4-5 बार में करें।

पैदावार

  • प्रति एकड़ भूमि में जैतून के करीब 190 पौधे लगाए जा सकते हैं।

  • प्रति एकड़ भूमि में इसकी खेती करने पर 8 से 10.8 क्विंटल तक तेल का उत्पादन होता है।

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Somnath Gharami

Dehaat Expert

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18 October 2021

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