विवरण
हरी मटर के लिए खेत की तैयारी
लेखक : Soumya Priyam

मटर रबी में खेती की जाने वाली प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है। बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में प्रमुखता से इसकी खेती की जाती है। उत्तर भारत की पहाड़ियों में इसकी खेती गर्मी और पतझड़ के मौसम में भी की जा सकती है। मटर की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि खेत की तैयारी सही तरह से नहीं की गई तो फसल की पैदावार में कमी हो सकती है। मटर की खेती के लिए खेत की तैयारी की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
बुवाई का समय
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इसकी बुवाई के लिए सितंबर-अक्टूबर का महीना सर्वोत्तम है।
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ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च से जून महीने में भी की जा सकती है।
खेत का चयन
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मटर की खेती के लिए मटियार दोमट मिट्टी और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
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इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।
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मिट्टी का पी.एच स्तर 6.5 से 7.5 होना चाहिए।
खेत की तैयारी
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सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से 1 बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर के द्वारा 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत की मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाने के लिए पाटा अवश्य लगाएं।
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खेत में जल जमाव न होने दें। उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
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इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में नमी की कमी न हो।
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बुवाई से पहले खेत में एक बार सिंचाई करें। इससे अंकुरण में आसानी होगी।
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प्रति एकड़ खेत में 4 से 5 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद मिलाएं।
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प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 25 किलोग्राम फास्फोरस का छिड़काव करें।
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खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
इस पोस्ट में बताए गए तरीके से खेत तैयार करके आप मटर की बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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17 September 2020
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