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गोभी की फसल में डाउनी मिल्ड्यू रोग पर नियंत्रण

लेखक : Soumya Priyam

फूलगोभी हो या पत्तागोभी, डाउनी मिल्ड्यू रोग के कारण फसल पर प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। इस रोग को मृदुरोमिल आसिता के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से गोभी की फसल 30 से 40 प्रतिशत तक नष्ट हो सकती है। मृदुरोमिल आसिता रोग का कारण, लक्षण एवं बचाव के उपाय की जानकारी यहां से देख सकते हैं।

रोग का कारण

  • यह रोग एक फफूंद जनक रोग है।

  • मौसम के बदलने पर इस रोग के होने का खतरा अधिक हो जाता है।

  • करीब 15 से 23 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान इस रोग के लिए सबसे अनुकूल है।

रोग का लक्षण

  • रोग से प्रभावित गोभी के पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

  • इन धब्बों पर सफेद रंग की परत देखी जा सकती है।

  • रोग बढ़ने के साथ इन धब्बों का आकार भी बढ़ने लगता है।

  • कुछ ही समय में यह धब्बे तनों पर भी फैलने लगते हैं।

बचाव के उपाय

  • इससे बचने के लिए खेत में खरपतवार पर नियंत्रण रखें।

  • पौधों के बीच उचित दूरी रखें।

  • रोग से प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।

  • रोग से प्रभावित क्षेत्रों में गोभी की खेती करने से बचें।

  • बीज की बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना जरूरी है।

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम डाइथेन एम 45 मिलाकर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा आप प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम रिडोमिल एम.जेड 72 मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।

  • आवश्यकता के अनुसार 10 से 15 दिनों के अंतराल पर फिर से छिड़काव करें।

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9 October 2020

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