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गोभी की फसल में आद्रगलन रोग का लक्षण एवं बचाव

गोभी की फसल में कई तरह के रोग लगते हैं। जिनमे से एक है आद्रगलन रोग। इस रोग से गोभी के पौधों को सर्वाधिक नुकसान होता है। फसल को आद्रगलन रोग से बचाने के लिए इस रोग का लक्षण एवं इस पर नियंत्रण की जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस रोग से अधिकतर छोटे पौधे प्रभावित होते हैं। वातावरण में अधिक ठंड एवं अधिक नमी एवं मौसम की अनुकूलता इस रोग के होने के प्रमुख कारणों में से एक है।
रोग का लक्षण
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इस रोग से बीज अंकुरित होने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं।
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यदि बीज अंकुरित हो भी गए तो पौधों का तना कमजोर हो जाता है।
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रोग से ग्रस्त पौधों की जड़ें गलने लगती हैं और पौधों के पत्ते भी पीले होने लगते हैं।
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रोग बढ़ने पर पौधे नष्ट हो जाते हैं।
नियंत्रण के तरीके
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
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इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से भी उपचारित किया जा सकता है।
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रोग से प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें।
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खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखने पर प्रति एकड़ खेत में 500 ग्राम मैंकोज़ेब 75 प्रतिशत या 400 ग्राम मेटलैक्सिल 35 प्रतिशत डबल्यूएस का छिड़काव करें।
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गोभी के पौधों के अच्छे विकास के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं आद्रगलन रोग पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी अपनी फसल को इस रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

SomnathGharami
Dehaat Expert
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29 January 2021
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