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गेंदा : चूर्णिल आसिता रोग से बचाव

गेंदे के पौधों में कई तरह के रोग होते हैं। इसमें तना गलन रोग, पत्ती धब्बा रोग, चूर्णिल आसिता रोग, आदि कई रोग शामिल है। आज हम बात करेंगे गेंदे के पौधों में लगने वाले चूर्णिल आसिता रोग के बारे में। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग को पाउडरी मिल्ड्यू रोग या दहिया रोग भी कहते हैं। इस रोग के लक्षण के साथ ही इससे बचाव के उपाय भी जानेंगे।
चूर्णिल आसिता रोग का लक्षण
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इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद पत्ते पूरी तरह सफेद रंग के पाउडर जैसे तत्व से ढक जाते हैं।
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रोग बढ़ने पर पत्तियां पीली हो जाती हैं और पत्तियों का आकार भी मुड़ने लगता है।
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इस रोग से पौधों की कलियां एवं फूल भी प्रभावित होते हैं।
बचाव के उपाय
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इस रोग को फैलने से रोकने के लिए पौधों के संक्रमित हिस्सों को तोड़ कर नष्ट कर दें।
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प्रभावित पौधों को छूने के बाद स्वस्थ पौधों को स्पर्श न करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम घुलनशील सल्फर मिला कर छिड़काव करें।
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15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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हमें उम्मीद इस पोस्ट में दी गई दवाएं चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। अगर आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें। साथ ही इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। गेंदे की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
Somnath Gharami
Dehaat Expert
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1 टिप्पणी
12 December 2020
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