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चने की इल्ली का प्रबंधन

लेखक : Somnath Gharami

चने की फसल में लगने वाली चने की इल्ली सबसे खतरनाक कीटों में से एक है। आमतौर पर चने की इल्ली के प्रकोप से फसल की पैदावार में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी आती है। प्रकोप बढ़ने पर 80 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो सकती है। चने की फसल को इससे बचाने के लिए प्रकोप का लक्षण एवं बचाव के उपाय की जानकारी होना बेहद जरूरी है। अगर आपके चने की फसल में भी है इनका प्रकोप तो यह आर्टिकल आपके लिए निश्चित ही महत्वपूर्ण साबित होगी।

चने की इल्ली की पहचान

  • पूर्ण रूप से विकसित कीट की लम्बाई 24 से 30 मिलीमीटर तक हो सकती है।

  • इनका रंग हरा, पीला एवं भूरा होता है।

  • इसके शरीर पर धारियां बनी होती हैं।

प्रकोप का लक्षण

  • इस कीट का लार्वा पत्तियों के हरे भाग को खाता है।

  • बड़ी इल्लियां पत्तियों एवं फलियों में छेद करके अंदर के दानों को खाती हैं। जिससे फलिया अंदर से खोखली हो जाती हैं और पैदावार में कमी आती है।

बचाव के उपाय

  • फसल चक्र अपनाएं।

  • यदि संभव हो तो इल्लियों के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।

  • 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव करने से इल्लियों पर नियंत्रण किया जा सकता है।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर क्वीनालफॉस 25 ई.सी मिलाकर छिड़काव करें।

  • नीम के तेल का छिड़काव भी चने की इल्ली पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होता है।

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इस पोस्ट में बताई गई दवाएं चने की इल्ली पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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2 December 2020

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