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चिरायता है औषधीय तत्वों का खजाना, जानें इसकी खेती का सही तरीका

चिरायता में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसकी खेती समुद्र तल से 1200 से 1300 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है। इसके पौधों की ऊंचाई 3 से 4 फीट होती है। वर्षा के मौसम में पौधों में फूल खिलते हैं। इसकी पत्तियां करीब 10 सेंटीमीटर लम्बी एवं 3 से 4 सेंटीमीटर चौड़ी होती है। औषधीय फसलों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम चिरायता की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
चिरायता की खेती का उपयुक्त समय
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इसकी बुवाई के लिए मार्च-अप्रैल का महीना उपयुक्त है।
चिरायता की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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चिरायता की खेती के लिए दोमट मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है।
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इसकी खेती उचित जल निकासी वाली मिट्टी में करनी चाहिए।
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इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है।
बीज की मात्रा
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प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 80 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
पौधों के बीच की दूरी एवं पौधों की संख्या
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नर्सरी में 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज की बुवाई करें।
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मुख्य खेत में सभी पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
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प्रति एकड़ भूमि में करीब 20,000 पौधों की रोपाई की जा सकती है।
खेत तैयार करने की विधि
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बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए 2 से 3 बार खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
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जुताई करने के बाद पाटा लगा कर मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाएं।
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आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ भूमि में 1.4 टन वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।
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इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 0.8 टन जैविक खाद मिलाएं।
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Pramod
Dehaat Expert
1 लाइक
14 March 2022
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