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अदरक की खेती की बारीकियां

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अदरक का इस्तेमाल मुख्य रूप मसाले के तौर पर किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। केरल और मेघालय में प्रमुखता से इसकी खेती होती है। इसके साथ ही भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। यदि आप भी अदरक की खेती करना चाहते हैं तो इसकी से जुड़ी कुछ बारीकियां यहां से देख सकते हैं।

बुवाई का सही समय

  • दक्षिण भारत में इसकी बुवाई के लिए अप्रैल - मई का महीना सबसे बेहतर होता है। इस समय बुवाई करने पर दिसंबर महीने तक फसल तैयार हो जाते हैं।

  • मध्य एवं उत्तर भारत में अप्रैल से जून महीने तक इसकी बुवाई की जा सकती है। देर से बुवाई करने पर कंद के सड़ने की आशंका बढ़ जाती है।

  • पहाड़ी क्षेत्रों में मध्य मार्च में बुवाई करने से बेहतर फसल की प्राप्ति होती है।

जलवायु एवं मिट्टी

  • इसकी खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।

  • मिट्टी में भरपूर मात्रा में जीवाश्म और कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए।

  • इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच स्तर 5.6 से 6.5 होना अच्छा होता है।

  • खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।

बीज उपचार

  • बीज उपचारित करने के लिए प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम मैंकोजेब या कार्बोन्डाजिम मिलाएं। इस घोल में कंदों को 30 मिनट तक डुबो कर रखें।

  • उपचारित करने के बाद कंदों को थोड़ी देर छांव में रखें और फिर बुवाई करें।

खाद एवं उर्वरक

  • खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ जमीन में 50 से 60 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं।

  • सड़ी हुई गोबर की खाद की जगह आप कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।

  • प्रति एकड़ खेत में करीब 800 किलोग्राम नीम की खली डालने से कई तरह के रोगों से बचाव हो सकता है।

  • खेत की तैयारी के समय नाइट्रोजन 24 किलोग्राम (52 किलोग्राम यूरिया), फासफोरस 20 किलोग्राम (125 किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट ) और पोटाश 20 किलोग्राम (35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ जमीन में प्रयोग करें।

  • पोटाश और फासफोरस की पूरी मात्रा बिजाई के समय डालें। नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा 20 किलोग्राम (45 किलोग्राम यूरिया ) बिजाई के 45 दिनों के बाद, जबकि बुवाई के 120 दिनों के बाद नाइट्रोजन की तीसरी मात्रा 16 किलोग्राम ( यूरिया 35 किलोग्राम) डालें।

सिंचाई

  • बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए।

  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • यदि वर्षा नहीं हुई तो हल्की सिंचाई करें।

  • खेत में नमी की कमी न होने दें।

खुदाई

  • बुवाई के बाद फसल को तैयार होने में करीब 8 महीना समय लगता है।

  • पौधों की पत्तियां जब पीली हो कर धीरे - धीरे सूखने लगे तब इसकी खुदाई कर लेनी चाहिए।

  • खुदाई के बाद सावधानी से कंदों से मिट्टी अलग करें।

  • कंदों को साफ पानी से धो कर 1 दिन धूप में अच्छी तरह सुखाएं।

Soumya Priyam

Dehaat Expert

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2 September 2020

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