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अदरक के प्रमुख रोग एवं उनका नियंत्रण
अदरक में भरपूर मात्रा में कैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ती है। कई औषधीय गुणों से भरपूर अदरक की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग पाए जाते हैं। इन रोगों के कारण फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है। अदरक की फसल को रोगों से बचाने के लिए नीचे दिए गए उपायों को अपनाएं और बेहतर फसल प्राप्त करें।
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प्रकंद/जड़ सड़न रोग : यह अदरक में होने वाला प्रमुख रोग है। इसे मृदु विगलन रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह मृदा जनित रोग है। इस रोग के होने पर पौधों की ऊपर की पत्तियां पीली होने लगती हैं। धीरे - धीरे सभी पत्तियां पीली हो जाती हैं। समय पर रोग पर नियंत्रण नहीं हुआ तो प्रकंद अंदर से सड़ने लगते हैं। इस रोग से बचने के लिए बुवाई से पहले प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम मैंकोजेब या डायथेन एम 45 के घोल में 30 मिनट तक डाल कर उपचारित करें। इस रोग से बचने के लिए रोग रहित खेत का चयन करें। रोग को फैलने से रोकने के लिए ग्रसित पौधों को नष्ट कर दें।
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पीत रोग : इस रोग के शुरुआत में पत्तियों के किनारों पर पीलापन दिखने लगता है। रोग बढ़ने पर पूरी पत्तियां पीली हो कर गिरने लगती हैं। फलस्वरूप पौधा सुख जाता है। मिट्टी में अधिक नमी , अधिक तापमान एवं अधिक आर्द्रता के कारण यह रोग होता है। इससे बचने के लिए रोग रहित स्वस्थ बीज का चयन करें। खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।
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पर्ण चित्ती रोग : इस रोग की शुरुआत पत्तों पर सफेद धब्बे बनने लगते हैं। जिसके चारों तरफ गहरे भूरे रंग की धारियां होती हैं। धब्बों पर पानी पड़ने से यह रोग और अधिक प्रभावी हो जाता है। इसका पौधों के विकास पर प्रतिकूल असर होता है। इस रोग से बचने के लिए 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब का छिड़काव करें।
Pramod
Dehaat Expert
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2 September 2020
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