तना छेदक कीट रोग के उपचार
तना छेदक कीट
तना भेदक सुंडी तने में छेद करके उसे अंदर से खाती है. जिससे गोभ एवं तना सूख जाता है. यह मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी सुण्डियां 20-25 मि.मी. लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है. जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है. इसकी सुंडिया तनों में सुराख करके पौधों को खा जाती है. जिससे छोटी फसल में पौधों की गोभ सूख जाती है, बड़े पौधों में ये बीच के पत्तों पर सुराख बना देती है. इस कीट के आक्रमण से पौधे कमजोर हो जाते हैं, और पैदावार बहुत कम हो जाती है.
इस तरह करें तना छेदक कीट से मक्के का बचाव
• मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें.
• ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें. कीट के नियंत्रण हेतु 5-10 ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करना चाहिये.
रासायनिक नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत, ई0सी0 1.50 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत, ई0सी0 1.50 लीटर अथवा मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत, एस0एल0 की 1.25 लीटर मात्रा को प्रति हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी मे घोलकर छिड़कावह करना चाहिये.
जैविक नियंत्रण हेतु
20 लीटर गौमूत्र में 5 किलो नीम की पत्ती 3 किलो धतुरा की पत्ती और 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती, 1 किलो बेशर्म की पत्ती, 2 किलो अकौआ की पत्ती, 200 ग्राम अदरक की पत्ती (यदि नही मिले तो 50ग्राम अदरक) 250ग्राम लहसुन, 1 किलो गुड, 25 ग्राम हींग एवं 150 ग्राम लाल मिर्च डाल कर तीन दिनों के लिए छाया में रख दें. यह घोले 1 एकड़ के लिए तैयार है. इस घोल का दो बार में 7-10 दिनों के तक छिड़काव करना है. प्रति 15 लीटर पानी में 3 लीटर घोल मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।