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इस मौसम करें पेठे की खेती, होगी अच्छी पैदावार

Author : Pramod

पेठा कुम्हड़ा, सफेद कद्दू, व्हाइट पंपकिन, आदि कई नामों से प्रचलित है। पेठा कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाली सब्जियों में शामिल है। इसके कच्चे फलों से सब्जी बनाई जाती है। वहीं पके फलों का उपयोग मिठाई बनाने में किया जाता है। यदि आप पेठे की खेती करना चाहते हैं तो यहां से इसकी खेती के लिए उचित समय, उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु, खेत तैयार करने की विधि, सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण, आदि जानकारियां यहां से प्राप्त करें।

पेठे की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • पेठे की खेती गर्मी एवं वर्षा ऋतु दोनों में की जाती है।

  • गर्मी की फसल के लिए बीजों की बुवाई फरवरी माह के अंत से मध्य मार्च तक करनी चाहिए।

  • वर्षा ऋतु की फसल के लिए बीज की बुवाई जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के मध्य तक की जाती है।

  • पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च महीने के बाद इसकी बुवाई की जाती है।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • अच्छी  पैदावार के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है।

  • गर्मी में खेती की जाने वाली किस्मों के लिए भारी दोमट मिट्टी उपयुक्त है।

  • वहीं जायद में खेती करने वाले किसानों के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है।

  • मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 8 होना चाहिए।

  • इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • बीज को अंकुरित होने के लिए करीब 15 डिग्री सेंटीग्रेड की तापमान की आवश्यकता होती है।

  • पौधों के अच्छे विकास के लिए करीब 30 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बेहतर है।

बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि

  • प्रति एकड़ खेत में 2.4 से 3.2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बीज की बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम से उपचारित करें।

  • थीरम के अलावा बीज को कार्बेंडाजिम से भी उपचारित किया जा सकता है।

खेत तैयार करने की विधि

  • सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं फसल फसलों के अवशेष नष्ट हो जाएंगे।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।

  • जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 16 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 8 किलोग्राम नीम की खली एवं 12 किलोग्राम अरंडी की खली मिलाएं।

  • गर्मी के मौसम में खेती के लिए जुताई के बाद खेत में पानी चला कर पलेवा करें।

  • पलेवा के 3-4 दिनों बाद जब मिट्टी की ऊपरी परत हल्की सूखने लगे तब खेत में 1 बार जुताई कर के पाटा लगा दें।

  • इसके बाद खेत में क्यारियां तैयार करें। सभी क्यारियों के बीच 3 से 4 मीटर की दूरी रखें।

  • बीज की बुवाई 1 से 1.5 फीट की दूरी एवं 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में करें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • गर्मी के मौसम में 2 से 3 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • बेलियों में फूल खिलने के समय एवं फल बनते समय सिंचाई करना जरूरी है। इस समय नमी की कमी होने पर उपज में कमी आती है।

  • खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 20 से 25 दिनों के बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।

  • इसके बाद 15 दिनों के अंतराल पैट या खरपतवार निकलने पर निराई-गुड़ाई करते रहें।

फलों की तुड़ाई एवं पैदावार

  • सब्जी बनाने के लिए जब फसलों के आकार में वृद्धि होने पर और फलों के पकने से पहले इसकी तुड़ाई करें।

  • मिठाई बनाने के लिए फलों के पकने के बाद इसकी तुड़ाई करें।

  • विभिन्न किस्मों के अनुसार प्रति एकड़ भूमि से 120 से 240 क्विंटल तक पैदावार होती है।

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27 March 2021

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