Details
बाजरे की खेती से अधिक उत्पादन लेने के लिए करें इन उन्नत किस्मों का चुनाव
Author : Somnath Gharami

बाजरा एक मोटा अनाज है। इसकी खेती मुख्यत: राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं मध्य प्रदेश में की जाती है। इसका उपयोग रोटी, खिचड़ी एवं अन्य खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है। विदेशों में बाजरे की मांग बढ़ रही है। इसके चलते किसानों का रुझान इसकी खेती की तरफ बढ़ रहा है। बाजरे की फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए जलवायु के हिसाब से सही किस्म की खेती करना आवश्यक होता है। इसके लिए किसानों को किस्मों की जानकारी होनी चाहिए कि किस क्षेत्र के लिए कौन सी किस्म बेहतर है एवं इनकी विशेषताएं क्या है? आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को बाजरे की विभिन्न किस्मों की जानकारी देंगे। ताकि किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
एम एच 169 (पूसा-23)
-
इस किस्म में पौधों की लंबाई 165 सेंटीमीटर होती है एवं इसके चमकीले पत्ते होते हैं।
-
इस किस्म के सिट्टे कसे हुए हुए होते हैं और परागण पीले रंग का होता है।
-
यह किस्म 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
-
इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 20 से 30 क्विंटल तक की पैदावार होती है।
-
यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं मध्यम सूखा सहन करने की क्षमता रखती है।
आर एच बी 121
-
बाजरे की इस किस्म के पौधों की लंबाई 165 से 175 सेंटीमीटर होती है।
-
यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं मध्यम सूखा सहन करने की क्षमता रखती है।
-
यह किस्म 75 से 78 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
-
इस किस्म की औसत पैदावार 22 से 25 क्विंटल तथा चारे की पैदावार 26 से 29 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।
एच एच बी 67-2
-
यह किस्म 62 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
-
इस किस्म के पौधों की लंबाई 160 से 180 सेंटीमीटर होती है।
-
इस किस्म के सिट्टे सख्त, रोयेंदार और 22 से 25 सेंटीमीटर लम्बे एवं पीले रंग के होते हैं।
-
यह किस्म जोगिया रोग प्रतिरोधी तथा सूखे के प्रति सहनशील होती है।
-
इस किस्म में एच एच बी 67 की तुलना में दाना और चारा की औसत पैदावार 22 से 25 प्रतिशत ज्यादा होती है।
एएचबी 1200 :
-
यह संकर किस्मों में से एक है।
-
यह किस्म खरीफ मौसम में खेती करने के लिए उपयुक्त होती है।
-
इस किस्म में आयरन की मात्रा प्रचुर होती है।
-
इसकी खेती मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में की जाती है।
-
इस किस्म की खेती करने पर 28 क्विंटल प्रति एकड़ सूखा चारा प्राप्त होता है।
-
यह किस्म 75 से 78 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
एम बी एच 151
-
इस किस्म में कोलस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने की क्षमता आम बाजरे से अधिक होती है।
-
इसलिए दिल के रोगियों के लिए इसका सेवन उत्तम होता है।
-
इस किस्म की औसत पैदावार 50 क्विंटल तथा सूखे चारे की औसत पैदावार 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
इसके अलावा हमारे देश में बाजरे की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती है। जिनमे जी.एच.बी 719, बी.जे- 104, एच.बी 2, एच.बी 3, आर.एस .बी 177, एम.पी.एम.एच 21, बी.डी- 111, एम.बी.एच 15 आदि किस्में शामिल हैं।
यह भी पढ़ें :
आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और जलवायु के हिसाब से बाजरे की विभिन्न किस्मों की खेती कर, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
22 June 2022
Please login to continue
No comments
Ask any questions related to crops
Ask questionsCall our customer care for more details
Take farm adviceAsk Help