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कल्पना
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वर्षा के मौसम में इस तरह करें लौंग की खेती, होगी लाखों में कमाई

वर्षा के मौसम में इस तरह करें लौंग की खेती, होगी लाखों में कमाई

लौंग में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं एवं सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में किया जाता है। मसलों में इसे प्रमुख स्थान प्राप्त है। विभिन्न व्यंजनों में इसका उपयोग स्वाद एवं सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसकी खेती तेल प्राप्त करने के लिए भी की जाती है।

बात करें इसकी खेती की तो यह एक बहुवर्षीय पौधा है। पौधों में फूल आने में 4-5 वर्षों का समय लगता है। एक बार पौधों की रोपाई कर के कई वर्षों तक लैंग प्राप्त किया जा सकता है। अधिक मूल्य पर बिक्री होने के कारण इसकी खेती करने वाले किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं। आइए लौंग की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।

लौंग की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • वर्षा का मौसम इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम है।

  • लौंग के पौधे तेज धूप एवं अधिक ठंड सहन नहीं कर सकते हैं।

  • सामान्य तापमान में पौधों का अच्छा विकास होता है।

  • इसकी खेती के लिए बलुई मिट्टी सर्वोत्तम है।

  • भारी मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें।

नर्सरी तैयार करने की विधि

  • नर्सरी में 3 से 4 बार जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लें।

  • स्वस्थ पौधे प्राप्त करने के लिए नर्सरी में गोबर खाद का प्रयोग करें।

  • बीज की बुवाई के लिए क्यारियां तैयार करें।

  • नर्सरी में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर तैयार की गई क्यारियों में बीज की बुवाई करें।

  • बीज से पौधे तैयार होने में करीब 2 वर्ष का समय लगता है।

खेत तैयार करने की विधि

  • पौधों की रोपाई से पहले मुख्य खेत में 1 बार गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लें।

  • अब नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की रोपाई के लिए खेत में गड्ढे तैयार करें।

  • गड्ढों की लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई 75 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

  • सभी गड्ढों के बीच करीब 6 से 7 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।

  • अब सभी गड्ढों में मिट्टी से साथ गोबर की खाद एवं कम्पोस्ट खाद मिला कर भरें।

  • सभी गड्ढों में पौधों की रोपाई करें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए गर्मी के मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।

  • शुरू के 2-3 वर्षों तक खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।

  • इसके लिए कुछ समय के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते रहें।

फूलों की तुड़ाई

  • लौंग के पौधों की रोपाई के करीब 4 से 5 वर्ष बाद फल आने शुरू होते हैं।

  • लौंग के फूल गुच्छों में आते हैं।

  • फूलों के खिलने से पहले ही इनकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए।

  • इसके बाद तुड़ाई की गई कलियों को भूरे से काले रंग के होने तक अच्छी तरह सूखाएं।

  • सूखने के बाद लौंग का वजन कम होता है। अब इसे अच्छी तरह भंडारित करें।

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