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विदेशी सब्जियों की खेती : मोटी कमाई का जरिया
विदेशी सब्जियों की खेती : मोटी कमाई का जरिया
पारंपरिक फसलों से हट कर किसान नई-नई फसलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। विदेशी सब्जियों की खेती से होने वाली मोटी कमाई के कारण कई किसान इन दिनों विदेशी सब्जियों की खेती की तरफ अधिक ध्यान दे रहे हैं। बात करें विदेशी सब्जियों की तो इनकी मांग रेस्तरां एवं होटलों में बढ़ने लगी है। हालांकि पारंपरिक फसलों की तुलना में इन सब्जियों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। बदलते समय के साथ यदि आप भी पारंपरिक फसलों की जगह विदेशी सब्जियों की खेती करना चाहते हैं तो इससे जुड़ी कुछ जानकारियां यहां से प्राप्त करें।
किन विदेशी सब्जियों की बढ़ रही है मांग?
इन दिनों ब्रोकली, रंगीन चाइनीज गोभी, लाल एवं पीली शिमला मिर्च, सैलरी, पॉकचोई, पार्सले, लेट्यूस, केल, चेरी टमाटर, ब्रुसेल्स स्प्राउट्स, एस्पेरेगस, आदि विदेशी सब्जियों की मांग अधिक होती है।
कुछ प्रमुख विदेशी सब्जियां
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ब्रोकली : यह गोभी वर्गीय सब्जियों में शामिल है। इसके पौधे और फूल देखने में फूलगोभी की तरह होते हैं। इसके फूलों का रंग हरा, पीला और बैंगनी होता है। लेकिन हरे रंग की ब्रोकली सबसे अधिक लोकप्रिय है। नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर का महीना है। मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त-सितंबर में इस की नर्सरी तैयार की जाती है। अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में नर्सरी तैयार करें। इसकी खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। प्रति एकड़ खेत से लगभग 5 से 6 टन ब्रोकली की पैदावार होती है।
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ब्रुसेल स्प्राउट्स : देखने में यह छोटे आकार की बंदगोभी लगती है। इसका आकार 3 से 5 सेंटीमीटर व्यास तक होता है। विटामिन ए से भरपूर इस सब्जी की बुवाई के लिए अगस्त-सितंबर का महीना उपयुक्त है। हालांकि कृत्रिम वातावरण में वर्ष भर इसकी खेती की जा सकती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती के लिए 160 से 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बात करें पैदावार की तो प्रति एकड़ भूमि से 20 से 40 क्विंटल सब्जियां प्राप्त होती हैं।
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लेट्यूस : इनमें विटामिन, कैल्शियम एवं आयरन, प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। नर्सरी तैयार करने के साथ सीधी बुवाई करके भी इसकी खेती की जा सकती है। नर्सरी तैयार करके खेती करने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 160 से 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। सीधी बुवाई के लिए प्रति एकड़ भूमि में 800 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पत्ती वाली किस्मों की खेती करने पर 24 से 30 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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सैलरी : सलाद के अलावा इसका प्रयोग सूप एवं चटनी बनाने में किया जाता है। कम नमी वाले क्षेत्रों में एवं भरपूर मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलने पर उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है। प्रति एकड़ जमीन के लिए 40 से 50 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। वहीं प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 120 से 200 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
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