दलहनी फसलों में उड़द की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत में करीब 29.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की खेती की जाती है। जिससे लगभग 13.3 लाख टन उड़द की पैदावार होती है। उड़द के उत्पादन में बिहार को पहला स्थान प्राप्त है। बिहार में प्रति हेक्टेयर 824 किलोग्राम उड़द की पैदावार होती है।
बात करें फसल में लगने वाले कीटों की तो उड़द की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। बेहतर पैदावार के लिए विभिन्न कीटों पर नियंत्रण करना आवश्यक है। आइए उड़द की फसल को क्षति पहुंचाने वाले कीटों के नियंत्रण पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पिस्सू भृंग : इस कीट को गैलेरूसिड भृंग के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट रात के समय नए पौधों की पत्तियों को खाते हैं। जिससे पत्तियों पर छेद नजर आने लगते हैं। दिन में यह मिट्टी में छिप जाते हैं। इस कीट के कारण उड़द की पैदावार में 60 प्रतिशत तक कमी आती है। इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति किलोग्राम खेत में 4 किलोग्राम फोरेट 10 जी का छिड़काव करें।
सफेद मक्खी : यह कीट पत्तियों का रस चूस कर पौधों को क्षति पहुंचाते हैं। जिससे पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। कुछ समय बाद पत्तियां लाल होकर गिरने लगती हैं और पौधों के विकास में बाधा आती है। सफेद मक्खियों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एससी मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।
पत्ती लपेटक कीट : यह कीट पत्तियों को को ऊपरी सिरे से मध्य भाग की तरफ लपेटने लगते हैं। यह कीट पत्तियों के मुड़े हिस्सों में रह कर पत्तियों के हरे पदार्थ को खाते हैं। जिससे पत्तियां पीली होने लगती हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 30 मिलीलीटर क्विनालफॉस मिला कर छिड़काव करें।
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