उड़द एक दाल वर्गीय फसल है, जो काली और हरी दो प्रकार के दानों में आती है। उड़द में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही लकवा, गठिया और श्वास जैसे रोगों में लाभदायक होने के कारण किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उरद एक वर्षा कालीन फसल है जिसके कारण उड़द में पानी की आवश्यकता कम पड़ती है। साथ ही एक अल्प अवधि की फसल होने के कारण यह केवल 60-65 दिनों में पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है। अगर आप भी इस मानसून में उड़द की खेती कर रहे हैं, तो खेती के लिए उचित समय और जलवायु संबंधी जानकारी यहां से देखें।
खेती का उचित समय
जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त बारिश के बाद उड़द की बुवाई करें।
बसन्त ऋतु की फसल के लिए फरवरी-मार्च में बुवाई करें।
बुवाई के लिए पंक्तियां तैयार करें।
उड़द की खेती के लिए उचित जलवायु
उड़द की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है।
उड़द में बुवाई के लिए आर्द्र एवं गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है।
वहीं फसल पकते समय शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है।
खेती के लिए बीज चुनाव
अपने क्षेत्र के अनुसार बीज किस्म का चुनाव करें।
बीज अधिक पुराना न चुनें।
बुवाई से पहले बीज उपचार अवश्य करें।
बीज की मात्रा
उड़द की खरीफ में बिजाई के लिए 7-8 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
गर्मियों में बिजाई के लिए 19-20 किलोग्राम मोटे बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें |
बीज उपचार
2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
रसायनों के बाद 2 ग्राम राइज़ोबियम से प्रति किलोग्राम बीज का उपचार करें।
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