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ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई किसानों को करेगी मालामाल
ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई किसानों को करेगी मालामाल
गन्ने की पैदावार इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप बुवाई के लिए किस विधि का चयन कर रहे हैं। यदि आप अधिक मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं तो गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि से करें। ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई कैसे की जाती है? ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने के क्या-क्या फायदे हैं? इन सवालों के जवाब के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। वहीं यदि इसके लिए सही समय की बात करें तो बसंत ऋतु का समय गन्ने की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है। यदि आप लगातार गन्ने की बुवाई करते आ रहे तो खेत की मिट्टी जांच कराना भी जरुरी हैं। आइए यहाँ गन्ने की बुवाई के लिए ट्रेंच विधि पर थोड़ी विस्तार से चर्चा करें।
कैसे करें ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई?
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इस विधि में खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर के द्वारा खेत में नालियां बनाई जाती हैं।
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नालियों की चौड़ाई करीब 1 फीट और गहराई 25 से 30 सेंटीमीटर रखें।
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सभी नालियों के बीच 120 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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नालियां तैयार करने के बाद उसमें खाद एवं उर्वरक मिलाएं।
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इसके बाद 2 आंखों वाले गन्ने के टुकड़ों की बुवाई करें और 2 से 3 सेंटीमीटर मिट्टी की परत से ढकें।
क्या हैं ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई के फायदे?
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कम क्षेत्र में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
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यह विधि चीनी परता की वृद्धि में सहायक है।
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इस विधि से बुवाई करने पर गन्ने में शक्कर की मात्रा अधिक होती है।
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खाद एवं उर्वरकों की मात्रा में कमी आती है।
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खरपतवार की समस्या कम होती है।
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विभिन्न रोगों के होने की संभावना कम हो जाती है।
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सिंचाई के समय पानी की बचत होती है।
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40 प्रतिशत तक अधिक पैदावार होने के कारण आय में वृद्धि होती है।
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सहफसली खेती में भी आसानी होती है।
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गन्ने की रोपाई के लिए खेत तैयार करने की विधि यहां से देखें।
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