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टमाटर में फल सड़ने की समस्या और उचित समाधान
टमाटर में फल सड़ने की समस्या और उचित समाधान
टमाटर की फसल में फल सड़न रोग फलों के पकने के दौरान देखने को मिलता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। यह फफूंद 1 से 2 वर्षों तक मिट्टी में जीवित रहती है और बारिश के साथ फलों पर चिपककर फलों को नुकसान पहुंचाती है। फल सड़न रोग के अधिक प्रकोप के कारण उत्पादन में प्रति वर्ष 40 प्रतिशत तक का नुकसान देखा गया है। जिससे बचने के लिए खेत में बुवाई के समय ही रोकथाम के उपाय अपनाए जाने चाहिए। टमाटर में फल सड़न रोग से होने वाले नुकसान और बचाव के तरीकों की जानकारी यहां से देखें।
फल सड़न रोग के लक्षण
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फल निचली सतह से सड़ने लगते हैं।
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फलों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं।
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रोग बढ़ने पर फलों के सड़े हुए भाग में दरारें पड़ने लगती हैं।
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इस रोग से अधिकतर लाल यानी पके हुए फल प्रभावित होते हैं।
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रोगग्रस्त फल जमीन पर गिर जाते हैं ।
रोकथाम के उपाय
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फलों को सड़ने से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 5-10 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें।
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इसके अलावा आप प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेनडाज़िम या 3 ग्राम थीरम से भी उपचारित कर सकते हैं।
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पौधों को सहारा देकर सीधा खड़ा रखें। जिससे वह मिट्टी के संपर्क में आने से बचे रहें और उन पर रोग लगने की संभावना कम हो।
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भूमि की सतह से 15 से 20 सेंटीमीटर ऊपर तक की पत्तियों को तोड़ दें।
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खेत में पानी के निकास के लिए उचित व्यवस्था रखें।
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रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर दें।
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मैंकोजेब की 25 ग्राम मात्रा और 10 लीटर पानी का घोल बनाकर ग्रसित पौधों पर छिड़काव करें।
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ जमीन में 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाएं।
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देहात फुल स्टॉप की 25 से 30 ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
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