टमाटर के पौधों में अगेती अंगमारी रोग और पछेती अंगमारी रोग दोनों का प्रकोप होता है। पछेती अंगमारी रोग को झुलसा रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको पछेती अंगमारी रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय बता रहे हैं। यहां दिए गए उपाय एवं दवाओं के प्रयोग से आप टमाटर के पौधों को देर से होने वाली अंगमारी रोग के प्रकोप से बचा सकते हैं।
रोग का कारण
यह रोग फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टान्स नामक फफूंद के कारण होता है।
रोग का लक्षण
रोग के शुरुआत में पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं।
रोग बढ़ने के साथ धब्बों का आकर भी बढ़ने लगता है।
कुछ समय बाद पूरी पत्तियां गहरे काले रंग की हो जाती हैं।
धीरे-धीरे यह पौधों को तनों पर भी दिखने लगते हैं।
इस रोग से प्रभावित फलों पर भूरे रंग के झुर्रीदार दाग नजर आने लगते हैं।
रोग बढ़ने पर पौधे सूख कर गिरने लगते लगते हैं।
बचाव के उपाय
फसल चक्र अपनाने से इस रोग के होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
इस रोग से बचने के लिए बुवाई करते समय रोग रहित बीज का चयन करें।
स्वस्थ बीज के लिए किसी प्रमाणित खाद-बीज भंडार से ही बीज खरीदें।
खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
रोग से प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
इस रोग से प्रभावित पौधों के अवशेषों को खाद बनाने के लिए प्रयोग न करें।
इस रोग से पौधों को बचाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना आवश्यक है।
खड़ी फसल में रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम मैंकोजेब 75 डब्लू.पी का छिड़काव करें।
यदि आप टमाटर के पौधों में होने वाली अगेती अंगमारी रोग से बचाव की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
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