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टमाटर की कुछ प्रमुख किस्में
Author : Lohit Baisla
टमाटर की खेती करने से पहले इसकी कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। यहां से आप टमाटर की कुछ प्रमुख किस्मों के साथ उसकी पैदावार की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
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स्वर्ण लालिमा : इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में की जाती है। इस किस्म के टमाटर के फलों का रंग गहरा लाल होता है। प्रति फल का वजन 120 से 125 ग्राम होता है। रोपाई के 55 से 60 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 240 से 280 क्विंटल फलों की प्राप्ति होती है। इसकी नर्सरी के लिए फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त का महीना सर्वोत्तम है।
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स्वर्ण नवीन : इस किस्म के फल गहरे लाल रंग के और अंडाकार होते हैं। प्रति फल का वजन 60 -70 ग्राम होता है। रोपाई के 60-65 दिनों बाद यह पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रति एकड़ खेत से 240 से 260 क्विंटल फलों की पैदावार होती है।
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स्वर्ण संपदा : यह संकर किस्मों में से एक है। इसकी खेती मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब में की जाती है। गोल एवं बड़े आकर वाले इस लाल रंग के एक टमाटर का वजन 120 से 130 ग्राम होता है। इसकी नर्सरी तैयार करने लिए उपयुक्त समय अगस्त-सितंबर और फरवरी-मई का महीना है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के करीब 55 से 60 दिनों बाद पहली तुड़ाई कर सकते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 400 से 420 क्विंटल टमाटरों की उपज होती है।
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अर्का सम्राट : संकर किस्मों में से एक इस टमाटर के फल आकार में चपटे एवं गोल होते हैं। प्रत्येक फल का वजन 100 से 120 ग्राम होता है। सामान्य तापमान में इसे 15 से 20 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है। यह किस्म खरीफ, रबी एवं गर्मी सभी मौसम में खेती के लिए उपयुक्त है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 140 से 150 दिनों में 400-500 क्विंटल टमाटर के फलों की पैदावार होती है।
इसके अलावा टमाटर की कई अन्य किस्मों की भी खेती की जाती है। जिनमे पूसा गौरव, पूसा हाइब्रिड 1, पूसा रोहिणी , पूसा दिव्या, पंत बिहार, हिसार ललित, एच एस- 101, अर्का रक्षक आदि किस्में शामिल हैं।
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2 September 2020
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