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टमाटर की खेती में खरपतवार प्रबंधन
Author : Lohit Baisla

टमाटर की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक है। खरपतवार की अधिकता से पौधों को उचित पोषक तत्व नहीं मिल पाता है और पौधे कमजोर हो जाते हैं। इसका सीधा असर फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता पर पड़ता है। अगर समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल की पैदावार में 70 से 90 प्रतिशत तक कमी आती है। इस मौसम अगर आप टमाटर की खेती कर रहे हैं तो खेत को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए यहां दिए गए तरीकों को अपनाएं।
खरपतवार की अधिकता से होने वाले नुकसान
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खरपतवार की अधिकता से फसल की उपज और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
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विभिन्न किस्मों के घास मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। इससे मुख्य फसल को आवश्यक पोषण नहीं मिलता है और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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खरपतवार में कीट और रोग जल्दी पनपते हैं। जो मुख्य फसल में फैल कर फसलों को क्षति पहुंचाते हैं।
खरपतवार प्रबंधन
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खेत में पलवार (मल्च) बिछा दें। इससे खरपतवार कम निकलते हैं और उनकी वृद्धि में भी कमी आती है।
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कुछ समय के अंतराल पर खेत में निराई-गुड़ाई करते रहें।
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निराई-गुड़ाई के लिए खुरपी या कुदाल का प्रयोग कर सकते हैं।
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निराई-गुड़ाई के बाद पौधों की जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा दें।
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खरपतवार पर नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले प्रति एकड़ जमीन में 200 लीटर पानी में 400 मिलीलीटर पेंडीमेथिलीन मिला कर छिड़काव करें।
इस पोस्ट में दिए गए तरीकों को अपना कर आप निश्चित तौर पर टमाटर की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण कर सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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6 October 2020
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