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टमाटर की खेती में आने वाली समस्याएं एवं उनका निवारण
टमाटर की खेती में आने वाली समस्याएं एवं उनका निवारण
मौसम चाहे गर्मी की हो या ठंड की लाल रसीले टमाटरों की मांग हमेशा बनी रहती है। इसकी खेती किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा देती है। लेकिन कई बार कुछ समस्याओं के कारण टमाटर की फसल खराब होने लगती है और किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम टमाटर की खेती में आने वाली समस्याएं एवं उनके निवारण पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
टमाटर की पत्तियों एवं फलों पर धब्बे होना
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पछेती झुलसा रोग के कारण टमाटर की पत्तियों एवं फलों पर धब्बे होने लगते हैं। यह धब्बे भूरे एवं काले रंग के होते हैं। टमाटर के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम मैंकोज़ेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी का प्रयोग करें।
सिंचाई के बाद फलों का फटना
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कई बार सिंचाई के बाद फलों के फटने की समस्या होने लगती है। खेत की मिट्टी अधिक सूखने के बाद तुरंत सिंचाई करने पर एक दम से पानी मिलने की वजह से टमाटर इ फल धीरे-धीरे फटने लगते हैं। इस समस्या से बचने के लिए एक निश्चित अंतराल पर एवं आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
टमाटर के फलों का खराब होना
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कई बार पौधों में लगे फल भूमि की सतह से सट कर खराब होने लगते हैं। फलों को खराब होने से बचाने के लिए टमाटर के पौधों को सहारा दें। इससे फल भूमि की सतह से साटेंगे नहीं और खराब होने से भी बचे रहेंगे। इसके साथ ही फलों की तुड़ाई में भी आसानी होगी।
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