Details
टमाटर : छाछया रोग से फसल हो न जाए नष्ट, ऐसे करें नियंत्रण
Author : Soumya Priyam

छाछया रोग को चूर्णिल आसिता रोग एवं पाउडरी मिल्डयू रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के होने पर टमाटर के पौधों को भारी क्षति पहुंचती है। यह एक फफूंद जनित रोग है। टमाटर की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इस रोग पर नियंत्रण करना आवश्यक है। अगर आप भी कर रहे हैं टमाटर की खेती और पौधों में इस रोग के प्रकोप के कारण हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप छाछया रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आइए इस विषय में विस्तार से जानकरी प्राप्त करें।
छाछया रोग के लक्षण
-
पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
-
यह धब्बे सफेद रंग के पाउडर की तरह नजर आते हैं।
-
धीरे-धीरे रोग से प्रभावित पत्तियां पीली होने लगती हैं।
-
कुछ समय बाद पत्तियां सूख कर गिरने लगती हैं।
छाछया रोग पर नियंत्रण के तरीके
-
इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
-
प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम जिनेब 68 प्रतिशत एवं हेक्साकोनाजोल 4 प्रतिशत डब्लूपी मिला कर छिड़काव करने पर भी इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। बाजार में यह दवा इंडोफिल अवतार के नाम से उपलब्ध है।
-
इसके अलावा 15 लीटर पानी में 10 ग्राम बयार का नेटिवो मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें :
-
टमाटर की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के सटीक उपाय की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए टमाटर की फसल को इस घातक रोग से बचा कर अच्छी फसल प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
10 Likes
1 Comment
16 November 2021
Please login to continue
No comments
Ask any questions related to crops
Ask Experts
घर बेठें मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त कर
To use this service Please download the DeHaat App
Download DeHaat App