पोस्ट विवरण
तरबूज की फसल पाउडरी मिल्ड्यू रोग से हो रही प्रभावित, जानें नियंत्रण के तरीके
तरबूज की फसल पाउडरी मिल्ड्यू रोग से हो रही प्रभावित, जानें नियंत्रण के तरीके
पाउडरी मिल्ड्यू रोग को विभिन्न क्षेत्रों में चूर्णिल आसिता रोग, खर्रा रोग एवं दहिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। सही समय पर इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो तरबूज के पौधों का विकास रुक जाता है और कुछ समय बाद पौधे नष्ट भी होने लगते हैं। यह रोग फल, फूल, सब्जियां एवं अनाज, सभी तरह की फसल को क्षति पहुंचाते हैं। आइए इस पोस्ट इ माध्यम से हम तरबूज के पौधों को पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचाने के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पाउडरी मिल्ड्यू रोग से होने वाले नुकसान
-
पाउडरी मिल्ड्यू रोग का लक्षण सबसे पहले पौधों की पत्तियों एवं तने पर नजर आता है।
-
इस रोग के होने पर पौधों की पत्तियां एवं तने पर सफेद रंग के चूर्ण उभरने लगते हैं।
-
कुछ समय बाद पत्तियां पीली हो कर सड़ने लगती हैं।
-
पौधों के विकास में बाधा आती है।
पाउडरी मिल्ड्यू रोग पर नियंत्रण के तरीके
-
पौधों को इस रोग से बचाने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाज़िम 50 डब्लू.पी से उपचारित करें।
-
रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर कार्बेन्डाज़िम मिलाकर छिड़काव करें।
-
प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब 72 एम.जेड मिलाकर भी छिड़काव करने से भी इस रोग से निजात पा सकते हैं।
-
आवश्यकता होने पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दवाओं का दोबारा छिड़काव करें।
यह भी पढ़ें :
हमें उम्म्द है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए तरबूज की फसल को पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ