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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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तिल की खेती : उपयुक्त मिट्टी, जलवायु एवं बीज उपचारित करने की विधि

तिल की खेती : उपयुक्त मिट्टी, जलवायु एवं बीज उपचारित करने की विधि

तिल की खेती मुख्य रूप से तेल निकालने के लिए की जाती है। इसके अलावा तिल की खली का प्रयोग पशुओं के आहार के तौर पर भी किया जाता है। इसके दानो में करीब 20 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है। खरीफ मौसम में इसकी खेती के लिए जून-जुलाई का महीना सर्वोत्तम है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम तिल की खेती से जुड़ कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।

तिल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • तिल की खेती उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि में की जाती है।

  • इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 8 से अधिक नहीं होना चाहिए।

  • इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सर्वोत्तम है।

  • तिल की खेती 25 से 27 सेंटीग्रेड तापमान में की जाती है।

  • इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहन कर सकते हैं।

  • तापमान बढ़ने पर पौधों के विकास में बाधा आती है।

बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि

  • प्रति एकड़ खेत में 1.2 से 1.6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।

  • इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें।

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