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तिल की बुवाई के लिए खेत की तैयारी
तिल की बुवाई के लिए खेत की तैयारी
तिल एक बहु उपयोगी फसल है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग तेल निकलने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसका प्रयोग कई तरह के व्यंजनों को बनाने में भी किया जाता है। तिल की खली का उपयोग पशुओं के लिए एक बेहतर आहार के तौर पर किया जाता है। गुजरात , मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इसके प्रमुख उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। अगर आप भी करना चाहते हैं तिल की खेती तो खेत की तैयारी और बुवाई की विधि की जानकारी होना आपके लिए बहुत जरूरी है।
खेत की तैयारी
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तिल का बीज आकर में बहुत छोटा होता है। इसलिए इसकी खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है। भुरभुरी मिट्टी में बीज का अंकुरण अच्छा होता है।
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तिल की खेती के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2-3 बार हलकी जुताई करें। देशी हल या कल्टीवेटर से हल्की जुताई करना बेहतर होता है।
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जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 200 किलोग्राम गोबर की खाद मिलाएं। खेत में गोबर खाद के प्रयोग से पैदावार बढ़ती है।
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अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 12 किलोग्राम नत्रजन, 16 किलोग्राम फॉस्फोरस और 8 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
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बुवाई से पहले खेत में नीम की खली का भी छिड़काव कर सकते हैं।
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बुवाई के 30-35 दिनों बाद कड़ी फसल में प्रति एकड़ भूमि में 12 किलोग्राम नत्रजन का छिड़काव करें।
बुवाई की विधि
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आमतौर पर तिल की बुवाई बीज को खेत में खेत में छिड़क कर की जाती है। लेकिन ऐसा करने के लिए बीज की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है और निराई - गुड़ाई में भी कठिनाई होती है।
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बेहतर फसल के लिए खेत में क्यारियां बना कर बुवाई करें।
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क्यारियों को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाएं।
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हर क्यारी में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लगभग 3 सेंटीमीटर की गहराई में बीज की बुवाई करें।
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