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तिल
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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तिल की बुवाई का समय एवं प्रमुख प्रजातियां

तिल की बुवाई का समय एवं प्रमुख प्रजातियां

तिल दो प्रकार की होती है - काली और सफेद। तिल के दानों में 45 से 50 प्रतिशत तेल और 20 प्रतिशत प्रोटीन पाई जाती है। हमारे देश में तिल की खेती करीब 1774 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। इसकी खेती करने से पहले कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है।

बुवाई का समय

  • वर्षा आश्रित क्षेत्रों में तिल की खेती खरीफ मौसम में की जाती है।

  • खरीफ मौसम में खेती करने के लिए जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई महीने तक इसकी बुवाई कर सकते हैं।

  • सिंचाई की उपयुक्त सुविधा होने पर आप इसकी खेती गर्मी के मौसम में भी कर सकते हैं।

  • गर्मी के मौसम में खेती करने के लिए जनवरी-फरवरी में तिल की बुवाई कर देनी चाहिए।

प्रमुख किस्में

  • टी.सी. 25 : यह जल्दी पकने वाली किस्मों में शामिल है। फसल को तैयार होने में 90 से 100 दिन लगते हैं। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 90 - 100 सेंटीमीटर ऊपर होती है। इससे निकलने वाले तिल सफेद रंग के होते हैं जिनमे 48-49 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। प्रति एकड़ जमीन से 170-180 किलोग्राम फसल की उपज होती है।

  • आर. टी. 46 : इसके पौधों की ऊंचाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म के तिल का रंग सफेद होता है जिनमे 49 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। प्रति एकड़ जमीन से औसतन 240 से 320 किलोग्राम फसल की पैदावार होती है।

  • टी. 13 : फसल को तैयार होने में 90 से 100 दिनों का समय लगता है। इसके दानों में तेल की मात्रा 49 प्रतिशत और प्रोटीन की मात्रा 24 प्रतिशत होती है। प्रति एकड़ भूमि से 200 से 280 किलोग्राम फसल की प्राप्ति होती है। इसके दाने सफेद रंग के होते हैं। पौधों की ऊंचाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है।

  • जे.टी. 11 : इसे वर्ष 2008 में विकसित किया गया। इस किस्म को पकने में करीब 85 दिन समय लगता है। इस किस्म के तिल में 46-50 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। तिल का रंग गहरा भूरा होता है। प्रति एकड़ जमीन से 260 से 280 किलोग्राम फसल की उपज होती है।

  • जवाहर तिल 306 : वर्ष 2004 में इसे विकसित किया गया। इसके दानों में 52 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। लगभग 85 से 90 दिनों में फसल पक कर तैयार हो जाते हैं। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 280 से 360 किलोग्राम तक फसल प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा भारत में तिल की कई अन्य किस्मों की भी खेती की जाती है। जिनमे जे.टी.एस. 8, टी.के.जी. 55, टी.के.जी. 308, वाई.एल. एम. 17,  जी.टी 2, कृष्ण, पटना- 64, कांके सफेद, कनक उमा, बी- 67, कालिका, आदि किस्में शामिल हैं।

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