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नाशीजीव प्रबंधन
किसान डॉक्टर
8 July
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तेजी से सूख रहे हैं धान के पौधे, कीट पर नियंत्रण के लिए क्या है विशेषज्ञों की राय

तेजी से सूख रहे हैं धान के पौधे, कीट पर नियंत्रण के लिए क्या है विशेषज्ञों की राय

अधिक तापमान एवं वातावरण में लगातार बढ़ती आर्द्रता में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए फसल को कीटों से बचाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। वैसे तो धान की फसल में नर्सरी की तैयारी से ले कर फसल की कटाई तक कीटों का आक्रमण होता है। लेकिन अगस्त-सितंबर के महीने में रस चूसक कीटों का प्रकोप बढ़ने लगता है। इन कीटों में ब्राउन प्लांट हॉपर कीट भी शामिल है। इस कीट को विभिन्न क्षेत्रों में भूरा फुदका कीट के नाम से भी जाना जाता है। सामान्यतः इस कीट का प्रकोप रोपाई के 80 से 90 दिनों बाद यानी बालियों में दानें भरने के समय होता है। इससे प्रभावित पौधे तेजी से सूखने लगते हैं। फलस्वरुप पैदावार में भारी कमी आ जाती है। कई बार इस कीट का प्रकोप इतनी तेजी से होता है कि किसान कुछ समझ पाएं उससे पहले ही सूखे पौधे नजर आने लगते हैं। उचित जानकारी के अभाव में भूरा फुदका कीट पर नियंत्रण करना बहुत कठिन हो जाता है।

धान की फसल को भूरा फुदका कीट से बचाने के लिए सबसे जरूरी है इसकी पहचान करना। यह कीट हल्के भूरे रंग के होते हैं। सामान्य तौर पर यह कीट पौधों के निचले भाग या मिट्टी के आस-पास पाए जाते हैं। यह कीट पौधों के तने एवं पत्तियों का रस चूसते हैं। केवल इतना ही नहीं, इस कीट से प्रभावित पौधों की पत्तियों की ऊपरी सतह पर काले रंग के फफूंद भी नजर आने लगते हैं। जिससे प्रकाश संस्लेषण की प्रक्रिया में बाधा आती है और पौधे सूखने लगते हैं।

देहात के कृषि विशेषज्ञों ने धान के पौधों को भूरा फुदका कीट से बचाने के साथ इस पर नियंत्रण के उपाय भी बताए हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसल को इस कीट से बचाने के लिए कुछ समय के अंतराल पर निरिक्षण करते रहें। खेत को खरपतवारों से मुक्त रखें। इसके साथ ही आवश्यकता से अधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग न करें। कीट का प्रकोप बढ़ने पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें। कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दवाओं का प्रयोग केवल पौधों के निचले भाग में ही करें। यदि खेत में पानी है तो उसे निकालने के बाद ही कीटनाशक दवाओं  का प्रयोग करें।

रासायनिक विधि से नियंत्रण के तरीके

  • प्रति एकड़ खेत में 20 से 40 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% SP या 40 से 50 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड17.8 SL का छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है।

  • इसके अलावा आप प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर बुप्रोफेज़ीन 23.10% + फिप्रोनिल 3.85 SC मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।

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धान की बेहतर पैदावार को सुनिश्चित करने के लिए फसल में किसी भी तरह की समस्या होने पर हमारे टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क कर के तुरंत कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें। इस पोस्ट में बताई गई दवाएं आप अपने नजदीकी देहात केंद्र जा कर या देहात हाइपरलोकल सुविधा के द्वारा अपने घर तक मंगा सकते हैं। इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।


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