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सूरजमुखी में फुदका कीट का प्रभाव, ऐसे करें उचित नियंत्रण
सूरजमुखी में फुदका कीट का प्रभाव, ऐसे करें उचित नियंत्रण
फुदका कीट को सामान्य बोलचाल की भाषा में लीफ हॉपर के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट पौधों की पत्तियों को अपना भोजन बनाते हैं और पत्तियों का हरा रस चूस कर फसल को पूरी तरह से बरबाद करने का काम करते हैं। सूरजमुखी में फुदका कीट की पहचान हल्के भूरे और गहरे हरे रंग के कीट के रूप में की जा सकती है। इन कीटों के पीठ पर पंख होते हैं। सूरजमुखी में फुदका कीट से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय यहां से देखें।
फुदका कीट से होने वाले नुकसान
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पत्तियां हल्के पीले रंग की हो जाती हैं।
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प्रकोप अधिक होने पर पत्तियां अंदर की ओर मुड़ जाती हैं।
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पत्तियों के किनारे हल्के गुलाबी दिखने लगते हैं।
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फसल झुलसी हुई दिखने लगती है।
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फसल फूल आने से पूर्व सूखने लगती है।
सूरजमुखी में फुदका कीट का नियंत्रण
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डाईमेथोएट 30 ई.सी. 260 मिलीलीटर प्रति एकड़ या डिमेटोन 25 ई.सी. 260 मिलीलीटर प्रति एकड़ का प्रयोग 240 लीटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव करें।
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ज्यादा प्रकोप होने पर दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के बाद करें।
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मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव 240 से 280 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 240 से 280 लीटर पानी के साथ करें ।
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10 प्रतिशत फोरेट रवेदार की 4 किलोग्राम मात्रा या 3 प्रतिशत कार्बोफ्यूरान दानेदार की 12 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
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प्रति एकड़ भूमि में 10 किलोग्राम 5 प्रतिशत नीम की गिरी के अर्क का प्रयोग करें।
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