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चारे की फसल
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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सूडान की खेती : पशुओं के लिए हरे चारे की होगी पूर्ति

सूडान की खेती : पशुओं के लिए हरे चारे की होगी पूर्ति

दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए हरे चारे का सेवन करना आवश्यक है। इन दिनों पशुपालकों के सामने पशुओं को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक हरे चारे की पूर्ति करना कठिन होता जा रहा है। ऐसे में सूडान घास की खेती किसानों एवं पशुपालकों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। सूडान घास में  प्रोटीन, रेशा, कैल्शियम, फास्फोरस, आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। हल्के मीठे स्वाद के कारण पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। सूडान घास की खेती से पहले कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां यहां से प्राप्त करें।

बुवाई का उपयुक्त समय एवं बीज की मात्रा

  • इसकी खेती के लिए वसंत ऋतु एवं गर्मी का मौसम दोनों उपयुक्त है।

  • इसकी बुवाई फरवरी से जून महीने तक की जा सकती है।

  • प्रति एकड़ खेत में खेती करने के लिए 4 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है।

  • अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए इसकी खेती दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी एवं हल्की काली मिट्टी में करें।

  • इसकी खेती हल्की छारीय भूमि में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।

  • मिट्टी का पी.एच. स्तर 6.5 से 7.0 होना चाहिए।

  • इसकी खेती के लिए 33-34 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है।

खेत तैयार करने की विधि

  • खेत तैयार करते समय सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं हानिकारक कीट नष्ट हो जायेंगे।

  • इसके बाद 3 से 4 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें।

सिंचाई एवं कटाई

  • वसंत ऋतु या गर्मी के मौसम में बुवाई की गई फसलों में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • वर्षा ऋतु में बारिश होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।

  • सिंचाई करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव की स्थिति न हो। जल जमाव होने पर फसल को नुकसान हो सकता है।

  • आमतौर पर बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

  • पहली कटाई के बाद हर 20 से 25 दिनों के अंतराल पर इसकी कटाई की जा सकती है। कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करें इससे पौधों की वृद्धि में आसानी होती है।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों एवं पशुपालकों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान एवं पशुपालक भी इसकी खेती करके पशुओं के लिए हरा चारा प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशुपालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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