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सुपारी : खेती से पहले जानें उपयुक्त समय एवं बुवाई की विधि
Author : Lohit Baisla

विश्व में सुपारी उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। भारत में सुपारी की खेती समुद्र तटीय इलाकों में की जाती है। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक में देखे जा सकते हैं। सुपारी के पेड़ नारियल की तरह 50 से 60 फीट तक ऊंचे होते हैं, जो लगभग पांच सालों में फल देना शुरू कर देते हैं। सुपारी का इस्तेमाल पान, डली, गुटखा मसाला के रूप में किया जाता है। इसके साथ ही हिंदू मान्यताओं के अनुसार सुपारी का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है। इसके अलावा सुपारी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों की रोकथाम एवं इलाज में मददगार सिद्ध होते हैं। मांग अधिक होने के कारण एवं अपने गुणों के कारण सुपारी की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है। यदि आप भी सुपारी की खेती कर रहे हैं तो खेती से जुड़ी आवश्यक जानकारी यहां देखें।
सुपारी की खेती के लिए उपयुक्त समय
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गर्मियों में पौधों को मई से जुलाई के मध्य लगा देना चाहिए।
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सर्दियों में बुवाई का उचित समय सितंबर से अक्टूबर का होता है।
सुपारी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
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सुपारी की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
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लेकिन जैविक पदार्थों से भरपूर चिकनी दोमट मिट्टी सुपारी की खेती के लिए फायदेमंद होती है।
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मिट्टी का पी.एच. मान 7 से 8 होना चाहिए।
खेत की तैयारी
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खेत की सफाई कर खेत की अच्छी तरह से जुताई करें।
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इसके बाद खेत में पानी लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें।
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पानी सूखने पर रोटावेटर के द्वारा खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
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पाटा लगा कर खेत को समतल करें।
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पौधों की रोपाई के लिए 90 सेंटीमीटर लंबाई, 90 सेंटीमीटर चौड़ाई और 90 सेंटीमीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें।
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गड्ढों की आपस में दूरी 2.5 से 3 मीटर तक रखें।
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29 April 2022
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