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सत्यानाशी घास : नियंत्रण के उपाय
Author : Dr. Pramod Murari

आज हम बात करेंगे एक ऐसे खरपतवार के बारे में जिसका नाम ही कुछ अटपटा सा है। इस खरपतवार का नाम है सत्यानाशी घास। इसके नाम की विपरीत इस घास में कई औषधीय गुण होते हैं। लेकिन आज हम इसके औषधीय गुणों के बारे में नहीं, इस पर नियंत्रण के उपाय पर बात करेंगे। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं इस घास की पहचान क्या है?
क्या है सत्यानाशी घास की पहचान?
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सत्यानाशी घास एक तरह का खरपतवार है जो लगभग सभी तरह के वातावरण में तेजी से फैलता है।
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इसकी पत्तियां एवं फल कांटेदार होते हैं।
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इसकी फूल पीले रंग के होते हैं, जो पॉपी के फूलों की तरह दिखते हैं।
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पौधे के किसी भी भाग को तोड़ने पर इसके अंदर से पीले रंग का दूध निकलता है।
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इस घास को विभिन्न क्षेत्रों में पीला धतूरा, कांति घास, सोना खिरनी, स्वर्णक्षीरी, कुटकुटारा, आदि कई नामों से जाना जाता है।
क्यों है यह हानिकारक?
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यह तेजी से फैलने वाले खरपतवारों में से एक है।
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इसकी अधिकता से फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता में कमी आती है।
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इसके फलों में पाए जाने वाले दाने जानलेवा साबित हो सकते हैं।
कैसे करें नियंत्रण?
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यदि खेत में फसल नहीं लगी है तो प्रति एकड़ खेत में 800 ग्राम राउंडअप नामक दवा का छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 200 ग्राम एट्राजिन का भी प्रयोग किया जा सकता है।
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खरपतवार के प्रयोग के समय खेत में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। खेत में नमी कम होने से खरपतवार नाशक का असर कम हो सकता है।
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गाजर घास पर नियंत्रण के उपाय जानने के लिए यहां क्लिक करें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं सत्यानाशी घास पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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9 December 2020
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