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सरसों की फसल में एफिड पर नियंत्रण
सरसों की फसल में एफिड पर नियंत्रण
देश के विभिन्न क्षेत्रों में एफिड को लाही या माहू के नाम से जाना जाता है। सरसों की फसल में इस कीट का प्रकोप होने पर पैदावार में भारी कमी आती है। बड़ी संख्या में होने के कारण यह कीट कम समय में फसल को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। यदि आप सरसों की खेती कर रहे हैं तो एफिड की पहचान, इससे होने वाले नुकसान एवं रोकथाम के उपाय यहां से देखें।
कीट की पहचान
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यह कीट भूरे एवं काले रंग के होते हैं।
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इसकी लंबाई 1 से 1.5 मिलीमीटर होती है।
होने वाले नुकसान
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यह कीट सरसों के फूलों एवं कोमल फलियों का रस चूसते हैं।
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जिससे फूलों की संख्या में कमी आती है एवं फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं।
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प्रकोप बढ़ने पर पौधों का विकास रुक जाता है।
रोकथाम के उपाय
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प्रति एकड़ खेत में 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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इस कीट पर नियंत्रण के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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इसके अलावा 15 लीटर पानी में 12 से 15 मिलीलीटर टाटामिडा मिलाकर छिड़काव करने से भी इस कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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आवश्यकता होने पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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सरसों में पहली सिंचाई के समय उर्वरक प्रबंधन की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
इस पोस्ट में बताई गई दवाएं एफिड पर नियंत्रण के लिए निश्चित ही कारगर साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें। साथ ही इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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