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सरसों
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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सरसों की खेती के लिए इस प्रकार तैयार करें खेत

सरसों की खेती के लिए इस प्रकार तैयार करें खेत

तिलहन फसलों में सरसों की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसके दानों से तेल निकाले जाते हैं एवं दानों को मसालों के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों से विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं। सरसों की खेती के लिए खेत की तैयारी की विधि यहां से देखें।

बुवाई का समय

  • बुंदेलखंड एवं आगरा क्षेत्रों में 15 अक्तूबर तक इसकी बुवाई की जा सकती है।

  • अन्य क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर महीना इसकी बुआई के लिए सबसे उपयुक्त है।

खेत की तैयारी

  • सरसों के दाने छोटे होते हैं इसलिए इसकी खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है।

  • इसकी खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से 1 बार गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें

  • जुताई के बाद खेत की मिट्टी को समतल और भुरभुरी बनाने के लिए पाटा लगाएं।

  • यदि खेत की मिट्टी सूखी है तो नमी को बरकरार रखने के लिए पलेवा करें।

  • खेत में जल जमाव ना होने दें। जल निकासी के लिए उपयुक्त व्यवस्था करें।

  • आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 4 से 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। गोबर की खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।

  • सरसों की फसल को प्रति एकड़ खेत के अनुसार 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 24 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है।

  • नाइट्रोजन की आधी मात्रा यानि 25 किलोग्राम नाइट्रोजन को बुवाई से पहले खेत में मिलाएं।

  • बुवाई के करीब 25 से 30 दिनों बाद बचे हुए 25 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

  • फसल को रोगों से बचाने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 4 से 5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाएं।

  • प्रति एकड़ जमीन में खेती के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बुवाई से पूर्व प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से अवश्य उपचरित करें।

यदि आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इससे जुड़े सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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